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Asian Games 2023 : खरगोन की बेटियों ने किया मध्य प्रदेश का नाम रोशन, चाइना में देश का झंडा फहराने हुईं रवाना

हेमंत नागले, खरगोन। वैसे तो ताश खेलने को लेकर कई बार इसे जुए के रूप में देखा जाता है। जुआ समझकर इसे बुरा भी समझा जाता है, लेकिन 52 पत्तों का ऐसा खेल जिसे खेलते हुए मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की रायबीडपुर की रहने वाली दो बेटियों ने मध्य प्रदेश का नाम एक बार फिर विश्व पटल पर रख दिया है। इंदौर एयरपोर्ट से रवाना हुई चीन के लिए दोनों ही बेटियां एक बार फिर ब्रिज गेम में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए भारत का नहीं मध्य प्रदेश का नाम भी रोशन करेंगी।

प्रदेश की बेटियों ने देश का नाम किया रोशन

खरगोन जिले से 22 किलोमीटर दूर छोटे से गांव रायबीडपूरा की रहने वाली दो बेटियों को एक बार फिर मध्य प्रदेश का नाम रोशन करने का मौका मिला है। वह ताश का खेले जाने वाला ब्रिज गेम की स्पर्धा में भाग लेने के लिए इंदौर एयरपोर्ट से चीन के लिए रवाना हो गई हैं। छोटे से गांव के होने के बावजूद भी दोनों बेटियों को परिवार का काफी सपोर्ट मिलता है और वह कई बार मध्य प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं। पिछले साल ही कल्पना गुर्जर ने अंडर 26 महिला वर्ग में भारत को ब्रिज में गोल्ड मेडल दिला चुकी हैं। वह इटली गईं थीं और 40 देश के 150 से अधिक खिलाड़ियों को हराते हुए उन्होंने मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया था।

ब्रिज गेम में सिल्वर मेडल ला चुकी हैं बेटियां

खरगोन के रहने वाली दोनों बेटियां मध्य प्रदेश से मात्र दो महिला खिलाड़ी हैं। कल्पना गुर्जर और विद्या पटेल इससे पहले भी मध्य प्रदेश के लिए ब्रिज गेम में सिल्वर मेडल ला चुकी हैं।

अपनी पुरानी यादों को समझौते हुए दोनों बेटियों ने बताया कि, साल 2022 में जब वह 7 से 14 अगस्त तक के लिए खरगोन से इटली गई थीं। उस समय फ्रांस, चीन, पोलैंड, नीदरलैंड सहित 40 देश के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। जहां मध्य प्रदेश के खरगोन की दोनों ही बेटियों ने सभी को परास्त करते हुए प्रदेश का नाम रोशन किया था। वहीं अब वे चीन में जाकर भी देश का परचम लहराएंगे।

पहली बार हो रहा ऐसा…

कल्पना गुर्जर ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि, 19th एशियाई गेम में वह ब्रिज गेम खेलने जा रही हैं। यह पहली बार है जब एशियाड गेम में पार्टिसिपेट करने के लिए चीन में कोई मध्य प्रदेश से देश को रिप्रेजेंट करेगा।

दूसरी खिलाड़ी विद्या पटेल ने बताया कि, लगभग 8 वर्षों से वे ब्रिज ताश का गेम खेल रही हैं। लेकिन उसको खेलने में काफी मेहनत लगती है। परिवार के सपोर्ट की वजह से ही वह यह खेल को देश के लिए खेलने में शोहरत हासिल कर पाईं। इससे पहले इटली और कई देशों में भी कल्पना और विद्या ने देश का नाम रोशन किया है। वहीं परिवार का भी उन्हें काफी सहयोग मिला है, अब वह चीन में भी देश का झंडा लहराना चाहती हैं।

क्या है ताश के पत्तों का ये खेल ‘ब्रिज’

ब्रिज की शुरूआत वर्ल्ड ब्रिज फेडरेशन नाम की संस्था ने की। इसे ट्रिक-टेकिंग कार्ड गेम भी कहा जाता है। इस खेल के इतिहास की बात करें तो इसे 16वीं शताब्दी से खेला जा रहा है। उन दिनों यह खेल राजघरानों तक सीमित था जहां बड़े खानदानी लोग शान के तौर पर इसे खेला करते थे। साल 1958 में नॉर्वे के ओस्लो शहर में इसकी शुरुआत हुई थी।

साल 1958 में ओस्लो में वर्ल्ड ब्रिज फेडरेशन की स्थापना हुई लेकिन एशियन गेम्स में इस खेल को साल 2018 में ही जगह मिल पाई। 2018 एशियन गेम्स खेलों में 14 देशों के कुल 213 एथलीटों ने ब्रिज में भाग लिया था। संस्था की वेबसाइट के मुताबिक, इनका पंचलाइन ‘Bridge for Peace’ यानी शांति के लिए रास्ता बनाना है। ओलिंपिक काउंसिल ऑफ एशिया (OCA) ने वियतनाम में आयोजित एक आम सभा में इस खेल को एशियाड-2018 में शामिल करने का फैसला 25 सितंबर 2016 को लिया था।

कैसे खेलते हैं ये गेम

ब्रिज एक चार-खिलाड़ियों की साझेदारी वाला ट्रिक-टेकिंग गेम है। इस खेल में हर एक टीम के दो खिलाड़ी शामिल होते हैं। खेल में कार्ड के 52 पत्तों में से 13 पत्ते हर एक खिलाड़ी को बांटे जाते हैं। खेल लगातार 7 दिनों तक खेला जाता है। हर एक दिन खेल को खेलने वाले प्लेयर्स लगातार इसे 7 घंटे तक बैठकर खेलते हैं। खिलाड़ी परम्यूटेशन और कॉम्बिनेशन के आधार पर इस खेल को खेलते हैं। आने वाले कार्ड पर निर्भर करता है कि वह किस तरह अपना स्कोर बढ़ा सकते हैं। दूसरे खेलों की तुलना में यह एक माइंड गेम है।

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