
नई दिल्ली/बालासोर। भारत ने ओडिशा तट से भारतीय वायु सेना (IAF) के सुखोई-30 लड़ाकू विमान से हवा से सतह पर मार करने वाली ‘रुद्रम’ मिसाइल का बुधवार को सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रुद्रम-II मिसाइल के उड़ान परीक्षण ने सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा कर लिया है।
ओडिशा के तट पर किया परीक्षण
रुद्रम-II स्वदेशी रूप से विकसित ठोस प्रणोदक वायु-प्रक्षेपित मिसाइल प्रणाली है, जो जमीन पर बने दुश्मन के सर्विलांस, कम्युनिकेशन, रडार और कमांड और कंट्रोल सेंट्रर्स को नष्ट करने में सक्षम है। विभिन्न डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित कई अत्याधुनिक स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को मिसाइल प्रणाली में शामिल किया गया है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘DRDO ने 29 मई को लगभग साढ़े 11 बजे ओडिशा के तट पर भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमके-I प्लेटफॉर्म से हवा से सतह पर मार करने वाली रुद्रम-II मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।”
2020 में किया था रुद्रम-I का फाइनल टेस्ट
इससे पहले अक्टूबर 2020 में रुद्रम-I मिसाइल का फाइनल टेस्ट किया गया था। इस मिसाइल की रेंज 150 किमी थी और INS-GPS नेविगेशन सिस्टम से लैस थी। ये मिसाइलें लंबी दूरी से दुश्मनी के एयर डिफेंस को तबाह करने के लिए बनाई गई हैं। इनकी मदद से भारतीय एयरफोर्स बिना किसी बाधा के बम बरसाने के मिशन को पूरा कर सकेंगे। 550 किमी रेंज वाली रुद्रम-III भी निर्माणाधीन है।
18 फीट लंबी मिसाइल का सटीक निशाना
रुद्रएम-II मिसाइल को DRDO ने डिजाइन किया है। इसकी कुल लंबाई 18 फीट है। यह करीब 155 किलोग्राम वजन का हथियार लेकर उड़ान भर सकता है। इसमें प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जाता है। इसकी रेंज 300 किमी है। यह अधिकतम 3 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है। सबसे खतरनाक तो इसकी गति है। यह ध्वनि की गति से 5 गुना ज्यादा स्पीड से उड़ान भरती है। इसकी सटीकता 5 मीटर है। यानी टारगेट से पांच मीटर दूर भी गिरती है।
रक्षा मंत्री ने सफल परीक्षण पर दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रुद्रम-II के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ और भारतीय वायुसेना को बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘‘सफल परीक्षण ने सशस्त्र बलों के लिए रुद्रम-II प्रणाली की भूमिका को और मजबूत कर दिया है।” डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने सफल उड़ान परीक्षण में योगदान के लिए सभी संबंधित लोगों की सराहना की।
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