
भोपाल। असल कहानी और सामाजिक व्यंग्य से भरपूर फिल्म ‘सर मैडम सरपंच’ 14 अप्रैल को विश्वभर में रिलीज होने के लिए तैयार है। इस फिल्म के कलाकार मंगलवार को भोपाल पहुंचे हैं। इस दौरान राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म के डायरेक्टर प्रवीण मोरछले, फिल्म की लीड कलाकार एरियाना सजनानी और नरसिंहपुर के मेहरा गांव की सरपंच माया विश्वकर्मा भी मौजूद रहीं। फिल्म की कहानी का कुछ हिस्सा नरसिंहपुर के मेहरा गांव की सरपंच माया विश्वकर्मा से जुड़ा है, जिस तरह से माया ने अपने गांव में स्कूल खोलने के लिए जद्दोजहद की। इसी तरह अमेरिका से आई एक हिंदुस्तानी लड़की अपने गांव में एक लाइब्रेरी खोलने की कोशिश करती है।
फिल्म भारतीय लड़कियों की अविश्वसनीय कहानियों पर आधारित
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक प्रवीण मोरछले का आगामी सामाजिक व्यंग्य, सर मैडम सरपंच’, कुछ भारतीय लड़कियों की अविश्वसनीय कहानियों पर आधारित है, जो उच्च अध्ययन के लिए विदेश चली गई, और अपने गांवों की सरपंच बनने के लिए घर लौटी। इसने हाल ही में 28 फरवरी से 7 मार्च के बीच फ्रांस में आयोजित प्रतिष्ठित वेसौल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ एशियन सिनेमाज (BIFFAC) के 29वें संस्करण में इनाल्को जुरी अवॉर्ड जीता। फिल्म 14 अप्रैल को दुनिया भर में रिलीज होने के लिए तैयार है।
मैंने इन अविश्वसनीय महिलाओं के बारे में पढ़ा था जिन्होंने अपने देश के प्यार के लिए, घर लौटने और अपने गांवों के लिए कुछ करने के लिए विदेश में आराम और नौकरी के अवसरों कि ये अपने आप में सुपरवुमन हैं। मेरी फिल्म उन सुपरवुमन की जमीनी स्थिति को दर्शाती है, जिससे ये साबित होता है कि ये अपने आप में सुपरवुमन हैं : प्रवीण मोरछले, फिल्म के डायरेक्टर
नरसिंहपुर के मेहरा गांव की सरपंच की कहानी
सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, माया मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में साई खेड़ा- तहसील के मेहरा गांव की निर्विरोध सरपंच चुनी गई। उन्होंने स्वराज्य मुमकिन है नामक एक किताब लिखी है, जो उनके अपने मेहरा गांव जैसे आत्मनिर्भर गांव में शिक्षा और जागरुकता के महत्व पर आधारित है। ‘पैडवुमन ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जानी जाने वाली यह सामती महिला, सुकर्मा फाउंडेशन की संस्थापक-अध्यक्ष हैं।
फिल्म में एरियाना का किरदार एना, एक भारतीय लड़की है जो अमेरिका में पली-बढ़ी है, मध्य भारत में अपने पैतृक गांव में एक पुस्तकालय शुरू करने के लिए लौटती है। उसके इरादे राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में हो रहे हलचलों में तूफान लाना है। अविचलित एना ग्राम सभा चुनावों के लिए खड़ी है, कई साहसी गांव की महिलाओं के साथ मिलकर अच्छी तरह से स्थापित सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था का मुकाबला करने के लिए वो तैयार है।
प्रवीण मोरछले ने जीते कई अवॉर्ड
लेखक-निर्देशक प्रवीण मोरछले को आलोचकों द्वारा भारत की नई लहर के महत्वपूर्ण फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में सराहा जाता है। उनकी 2017 की फीचर फिल्म, वॉकिंग विद द विंड ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म ( लद्दाखी), सर्वश्रेष्ठ ध्वनि डिजाइन (सनल जॉर्ज) और सर्वश्रेष्ठ री रिकॉर्डिंग (जस्टिन जोस) के लिए 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के साथ-साथ आईसीएफटी यूनेस्को गांधी पदक के लिए तीन राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए।
49वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में उनकी 2018 की उर्दू फिल्म विडो ऑफ साइलेंस, एक कश्मीरी महिला के बारे में, जिसका पति सात साल से लापता है, फिर भी सरकार उसे मृत घोषित करने को तैयार नहीं है, 23वें बुसान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में शुरू हुई, जहां इसे किम जिसक पुरस्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ एशियाई निर्देशक नामांकित किया गया था। इसे रॉटरडैम, गोथेनबर्ग, लॉस एंजिल्स और बेल्जियम सहित 35 से अधिक प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया है। इसने पांच अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं और इसे 2019 में भारत से आने वाली सबसे महत्वपूर्ण फिल्म माना जाता है।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) April 4, 2023