
दिल्ली की शराब नीति में हुए घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 6 राज्यों में 40 जगह एक साथ रेड की है। ये छापे आंध्र प्रदेश के नेल्लोर, कर्नाटक, तमिलनाडु और दिल्ली-एनसीआर के शराब व्यवसायियों, वितरकों और आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क से जुड़े परिसरों पर मारे गए हैं। वहीं शराब नीति घोटाला मामले में दिल्ली के हेल्थ मिनिस्टर सत्येन्द्र जैन से आज ईडी पूछताछ करेगी।
6 सितंबर को भी कई जगहों पर हुई थी छापेमारी
दिल्ली में इसी साल एक्साइज घोटाला सामने आया था, जिसकी जांच CBI कर रही है। इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर भी छापेमारी हो चुकी है। उनसे CBI ने कई दौर की पूछताछ भी की है। 6 सितंबर को भी ईडी ने दिल्ली, यूपी, पंजाब सहित कई राज्यों में शराब कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। ये कार्रवाई गुरुग्राम, लखनऊ, हैदराबाद, मुंबई, बेंगलुरु सहित करीब 35 ठिकानों पर की गई थी।
14 घंटे तक सिसोदिया के घर रही CBI
20 अगस्त की सुबह सीबीआई की एक टीम ने मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी की थी। ये छापेमारी करीब 14 घंटे तक चली। इस दौरान सीबीआई ने बताया कि आबकारी नीति मामले को लेकर सिसोदिया और बाकी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जिसके तहत ये छापेमारी की गई है। मनीष सिसोदिया पर जिन 3 धाराओं में केस दर्ज है, उनमें 2 धाराएं प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत आती हैं। CBI की FIR के मुताबिक मनीष सिसोदिया पर इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 120B, 477A और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन की धारा 7 के तहत केस दर्ज हुआ है।
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शराब पॉलिसी को लेकर LG ने की थी जांच की सिफारिश
माना जा रहा है कि सीबीआई की ये कार्रवाई दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी को लेकर है। दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया था। इस रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं? दरअसल, दिल्ली का एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के अधीन है।
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दिल्ली सरकार पर हैं ये आरोप
इस वक्त देशभर में ईडी उन लोगों के ठिकानों पर रेड कर रही है जो दिल्ली की नई शराब नीति को बनाने में कहीं ना कहीं शामिल हैं या फिर जिनको नई आबकारी नीति से फायदा पहुंचा है।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर आरोप है कि शराब कारोबारियों को कथित तौर पर 30 करोड़ रुपए की छूट दी गई। आबकारी नियमों का उल्लंघन कर शराब नीति के नियम बनाए गए। लाइसेंस धारकों को कथित तौर पर उनकी इच्छा के अनुसार एक्सटेंशन दिया गया था।