भोपालमध्य प्रदेश

जूडा ने की हड़ताल: रूटीन सेवाएं रही ठप्प, कल से इमरजेंसी सेवाएं भी नहीं देने की दी चेतावनी

भोपाल। राजधानी सहित पूरे प्रदेश में जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी। साथ ही नीट-पीजी काउंसलिंग जल्द कराने और एमडी-एमएस प्रथम वर्ष की जगह जूनियर रेजीडेंट और मेडिकल ऑफिसर रखने की मांग भी की जा रही है। वहीं बुधवार से इमरजेंसी सेवा भी नहीं देने की चेतावनी दी है।

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इमरजेंसी सेवाओं में किया सहयोग

गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी), भोपाल जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार सुबह आठ बजे से आंदोलन शुरू किया। उन्होंने सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं में सहयोग किया है। बुधवार से इमरजेंसी में भी काम नहीं करने की भी चेतावनी दी है। जूडा की मांग है अत्यावश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम (एस्मा) भी लागू नहीं किया जा रहा है। उधर, जीएमसी भोपाल के डीन डॉ. अरविंद राय का मामले में कहना है कि जूनियर डॉक्टरों की जगह कंसल्टेंट्स काम कर रहे हैं। इमरजेंसी बंद करने का नोटिस जूडा ने अभी नहीं दिया है।

महीनों से दबाव में काम कर रहे जूडा

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से आज ओपीडी और ओटी जैसी रूटीन सेवाएं ठप्प हो गईं। एम जूडा संगठन के डॉ. अमित टांडिया का कहना है कि प्रदेश में करीब एक हजार डॉक्टरों की कमी है। बीते आठ महीने से जूडा दबाव में काम कर रहे हैं। प्रदेश सरकार से मांग है कि एमबीबीएस कर चुके छात्रों को मदद के लिए रखा जाए। हमारी मांग है कि जब तक जूनियर डॉक्टर्स के नए एडमिशन से नहीं हो जाते, तब तक नॉन एकेडमिक जूनियर डॉक्टर की नियुक्ति कर जूनियर डॉक्टर्स का कार्यभार कम किया जाए।

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सुप्रीम कोर्ट में मामला है विचाराधीन

बता दें कि नीट-पीजी काउंसलिंग का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। वहीं टांडिया का कहना है कि काउंसलिंग में देरी भी की वजह से परेशानी हो रही है। 1 जून को जाने वाले पीजी प्रथम वर्ष के जूनियर डॉक्टर अभी तक नहीं आए हैं। इससे काम का दबाव बढ़ रहा है। वहीं फोर्डा यानी फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय संगठन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि काउंसलिंग जल्दी कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पक्ष जल्दी रखें। वहीं एमपी के जूनियर डॉक्टरों भी हड़ताल के माध्यम से समर्थन दे रहे हैं।

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