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इंदौर फर्जी मार्कशीट मामला : रांची से गिरोह के दो सरगना गिरफ्तार, ऑनलाइन ढूंढते थे अपने ग्राहक

इंदौर। जल्द व्यापम के जैसे एक नए और बड़े रैकेट का खुलासा इंदौर के विजय नगर पुलिस करने वाली है। यह गिरोह मध्य प्रदेश में रहकर देश कई राज्यों और जिलो में फर्जी मार्कशीट बनाकर ओने-पोने दाम पर बेचता था। विजय नगर पुलिस ने झारखंड के रांची से इस पूरे गिरोह के दो सरगना को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी पहले ऑनलाइन डाटा निकलाते थे। वहीं गिरोह का दूसरा सरगना फर्जी मार्कशीट बनाकर उन्हें सप्लाय करता था। पुलिस दोनों आरोपियों की 6 दिन की रिमांड लेकर गिरोह के अन्य सदस्यों की जानकारी जुटा रही है।

इंदौर पुलिस ने रांची में दबोचे दो मुख्य सरगना

विजय नगर थाना प्रभारी रविन्द गुर्जर ने बताया कि अगस्त माह में इस गिरोह के कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद आरोपियों की निशानदेही और मोबाइल से मिली जानकारी के आधार पर कार्रवाई की। वहीं कुछ दिनों पहले विजय नगर पुलिस द्वारा झारखंड के रांची में छापामर कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के दो मुख्य सरगना मुकेश पिता शम्भू सिंह और आनंद पिता चन्द्र शेखर को गिरफ्तार किया है। आरोपी द्वारा माध्यमिक शिक्षा मंडल दिल्ली सहित प्रदेश के कई राज्यों की मार्कशीट बनाई जाती थी।

डिमांड के हिसाब से बना देते मार्कशीट

दोनों आरोपियों के अपने अपने अलग-अगल काम होते थे। गिरोह में मुकेश नाम का आरोपी ऑनलाइन डेटा एकत्र करता था और ऐसे व्यक्तियों से संपर्क बनता था, जिन्हें मार्कशीट बनाना हो या जो दूसरे शहरों में रहकर इन्हें ग्राहक दे सकते। डेटा मिल जाने के बाद गिरोह का दूसरा साथी आनंद अपने घर में बैठ एमबीबीएस, बी-फार्मा, डी-फार्मा, 10वीं-12वीं सहित किसी भी क्लास या डिमांड के हिसाब से मार्कशीट को बना देते थे। आरोपी अधिकतर ऐसे शिकार की तलाश करते थे जिन्हें मार्कशीट की जरूरत हो। ऐसे ही यूनिवर्सिटी की मार्कशिट बनाते थे, जिसका नेट या वेब साइट पर कोई रिकॉर्ड आसानी से नहीं मिल पाए। आरोपियों द्वारा प्रत्येक मार्कशीट की डिमांड और ग्राहक के हिसाब से दाम लिए जाते थे, जिसमें 10 हजार से लेकर डिमांड के अनुसार रुपए लिए जाते थे।

ऐसे हुआ था खुलासा

डीसीपी अभिषेक आनंद के अनुसार, अगस्त माह में विजय नगर पुलिस ने एक अंतरराज्यीय फर्जी मार्कशीट गिरोह के कुछ सदस्य पकडे़ थे। जिसमें आरोपी दिनेश पिता सेवक राम तिरोले और उसका अन्य साथी मनीष राठौर निवासी उज्जैन को गिरफ्तार किया गया था। दोनों आरोपियों के पास से 8वीं, 10वीं, बीएएमएस, बीएचएमएस, लैब टेक्नीशियन, एम.फार्मा, डी.फार्मा सहित कई अन्य क्लास की मार्कशीट भी बरामद हुई थी।

दिल्ली, बिहार, पंजाब समेत अन्य राज्यों में बेचते थे मार्कशीट्स

आरोपियों द्वारा मार्कशीट्स को दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान सहित अन्य प्रांतों में भी बेचा जाता था। फर्जी मार्कशीट बनाकर अब तक आरोपियों ने करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति जुटा रखी। आरोपियों ने 5 सालों से यह रैकेट इंदौर में बैठकर इंदौर सहित अन्य राज्यों में फैला रखा था। फर्जी मार्कशीट बनाने वाला गिरोह डिमांड के हिसाब से फर्जी मार्कशीट बनाया करता था। जहां पर बी-फार्मा, डी-फार्मा सहित 10वीं-12वीं की सभी मार्कशीट्स को तैयार कर दिया जाता था। अधिकतर यह मार्कशीट वो बेरोजगार व्यक्ति बनवाते थे, जिन्हें निजी फैक्ट्री या कंपनी में नौकरी की तलाश होती थी। बाजार में जो डिमांड होती थी गिरोह के सदस्य उस हिसाब से मार्कशीट बनाया करते थे।

(इनपुट – हेमंत नागले)

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