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इंदौर फर्जी मार्कशीट मामला अपडेट : दो और आरोपी गिरफ्तार, एजुकेशन इंस्टीट्यूट का कर रहे थे संचालन

इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में फर्जी मार्कशीट मामले में विजयनगर पुलिस ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों को सोमवार देर रात इंदौर के अलग-अलग थाना क्षेत्रों से गिरफ्तार किया गया। अब तक इस मामले में 4 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। एजुकेशन इंस्टीट्यूट की आड़ में यह फर्जी मार्कशीट बनाकर मोटी रकम ऐंठने का काम करते थे। वहीं पुलिस मामले की जांच कर रही है।

एक अन्य आरोपी भी हिरासत में

डीसीपी अभिषेक आनंद के अनुसार, फर्जी मार्कशीट कांड में दो आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सोमवार देर रात पुलिस ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया। वहीं मामले में एक अन्य आरोपी के पुख्ता सबूत नहीं होने पर उसे अभी केवल हिरासत में लिया गया है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी अभी कागजों में नहीं दर्शाई गई है। अन्नपूर्णा थाना क्षेत्र में इंस्टिट्यूट का संचालन करने वाला मुकेश तिवारी लंबे समय से इस गिरोह के लिए फर्जी मार्कशीट बना रहा था। मामले में रंजीत हनुमान के नजदीक से नीतीश शर्मा नामक आरोपी को गिरफ्तार किया गया। एक अन्य आरोपी कौशल व्यास के बारे में अन्य जानकारी निकाली जा रही है जिसके पुख्ता सबूत मिलने के बाद उसे भी आरोपी बनाया जाएगा।

1000 ज्यादा फर्जी मार्कशीट बनाईं

पुलिस आरोपियों द्वारा उन सभी जगहों पर छापेमार कार्रवाई कर रही है, जहां इन मार्कशीट्स को छापा जाता था। वह उस प्रिंटिंग करने वाले प्रिंटर और जहां पर इसकी सील बनाई जाती थी उन व्यक्तियों की भी तलाश कर रही है। अब तक आरोपी 1000 से अधिक फर्जी मार्कशीट छाप चुके हैं और उसे बड़े दाम पर बेच चुके हैं।

डीसीपी का कहाना है कि, अवैध तरीके से कमाई गई संपत्ति की भी जानकारी निकाली जा रही है। मुख्य आरोपी के बैंक खातों की जानकारी निकालने के बाद उसे जल्द बैंक से फ्रीज कराया जाएगा।

जानें पूरा मामला

इंदौर के विजयनगर पुलिस द्वारा अंतर्राज्यीय फर्जी मार्कशीट बनाने वाला गिरोह का पर्दाफाश किया। आरोपियों ने 5 सालों से यह रैकेट इंदौर में बैठकर इंदौर सहित अन्य राज्यों में फैला रखा था। फर्जी मार्कशीट बनाने वाला गिरोह डिमांड के हिसाब से फर्जी मार्कशीट बनाया करता था। जहां पर बी-फार्मा, डी-फार्मा सहित 10वीं-12वीं की सभी मार्कशीट्स को तैयार कर दिया जाता था।

अधिकतर यह मार्कशीट वो बेरोजगार व्यक्ति बनवाते थे, जिन्हें निजी फैक्ट्री या कंपनी में नौकरी की तलाश होती थी। बाजार में जो डिमांड होती थी गिरोह के सदस्य उस हिसाब से मार्कशीट बनाया करते थे। आरोपी 8वीं, 10वीं, बीए.एमएस बीएचएमएस, लैब टेक्नीशियन, एम.फार्मा, डी.फार्मा सहित कई अन्य जगह की मार्कशीट बनाते थे।आरोपियों द्वारा मार्कशीट्स को दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान सहित अन्य प्रांतों में भी बेचा जाता था। फर्जी मार्कशीट बनाकर अब तक आरोपियों ने करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति जुटा रखी है।

(इनपुट – हेमंत नागले)

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