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इंदौर फर्जी मार्कशीट मामला : आरोपी ने दो बार दिया था UPSC एग्जाम, सिलेक्शन नहीं हुआ तो शुरू किया मार्कशीट बनाना

इंदौर। फर्जी अंकसूची कांड के मुलजिम की कहानी फिल्म जैसी है। अफसर बनने की ख्वाहिश थी। इंदौर में कुछ समय पहले रांची के दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपियों द्वारा रुपए लेकर किसी भी विश्वविद्यालय की जाली मार्कशीट बना दी जाती थी। मुख्य आरोपी अमित कुमार बिहार का रहने वाला है, उसने 8 साल पहले यूपीएससी की परीक्षा दी थी। लेकिन, सफल नहीं हुआ तो एक बार प्रयास करने के बाद उसने दूसरा प्रयास भी किया। जब अमित कुमार का सिलेक्शन नहीं हुआ तो उसने जाली मार्कशीट बनाने वाले गिरोह से संपर्क किया और रुपए कमाने के लालच में इस अपराध की दुनिया में उतर गया।

जेएनयू का छात्र रह चुका आरोपी मुकेश

यह कहानी शुरू हुई 6 महीने पहले, जब इंदौर की विजय नगर पुलिस ने दिनेश तिरोले नामक एक आरोपी को पकड़ा। उसने कई लोगों को नकली अंकसूची बनाकर बेची थी। इस कांड में आर्यन उर्फ मुकेश और उसके चचेरे भाई अमित उर्फ आनंद सिंह को गिरफ्तार किया, जो कि रांची (झारखंड) से है और गिरोह के सरगना है। मुकेश जेएनयू का छात्र रह चुका है। कलेक्टर बनने के लिए उसने यूपीएससी की परीक्षा दी थी, लेकिन सिलेक्शन नहीं हो पाया था। यूपी में उसे क्लर्क की नौकरी मिली। उसने नौकरी नहीं की और बच्चों को पढ़ाने लगा था। इसी बीच नकली अंकसूची बनाने का विचार आया। कंप्यूटर का जानकार होने से झारखंड में एक-दो अंकसूची बनाई। वो पकड़ में नहीं आई। दूसरे राज्यों में एजेंट बनाना शुरू कर दिए। 8 से 10 राज्यों से इंस्टाग्राम और फेसबुक के जरिए संपर्क कर जाली अंकसूची बनाकर देने लगा। बताते हैं कि अभी तक अनुमान के मुताबिक 5 से 10 करोड़ रुपए की संपत्ति बना ली है।

अब तक 10 आरोपी गिरफ्तार, अन्य की तलाश जारी

इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग के क्लर्क पहले भी पकड़े जा चुके हैं। कागज बनाने में वो मदद करते थे। अब तक इस केस में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और भी मुलजिम इसमें शामिल हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। मास्टर माइंड आर्यन जो पुलिस को जानकारी दे रहा है। उसी हिसाब से आगे की कार्रवाई की जा रही है। पुलिस का कहना है कि अब तक एक हजार अंकसूची जब्त हो चुकी हैं और भी मिलने की संभावना है।

यह था मामला

विजय नगर थाना प्रभारी रविन्द गुर्जर ने बताया कि अगस्त माह में इस गिरोह के कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद आरोपियों की निशानदेही और मोबाइल से मिली जानकारी के आधार पर कार्रवाई की। वहीं कुछ दिनों पहले विजय नगर पुलिस द्वारा झारखंड के रांची में छापामर कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के दो मुख्य सरगना मुकेश पिता शम्भू सिंह और आनंद पिता चन्द्र शेखर को गिरफ्तार किया है। आरोपी द्वारा माध्यमिक शिक्षा मंडल दिल्ली सहित प्रदेश के कई राज्यों की मार्कशीट बनाई जाती थी। दोनों आरोपियों के अपने अपने अलग-अगल काम होते थे।

गिरोह में मुकेश नाम का आरोपी ऑनलाइन डेटा एकत्र करता था और ऐसे व्यक्तियों से संपर्क बनता था, जिन्हें मार्कशीट बनाना हो या जो दूसरे शहरों में रहकर इन्हें ग्राहक दे सकते। डेटा मिल जाने के बाद गिरोह का दूसरा साथी आनंद अपने घर में बैठ एमबीबीएस, बी-फार्मा, डी-फार्मा, 10वीं-12वीं सहित किसी भी क्लास या डिमांड के हिसाब से मार्कशीट को बना देते थे। आरोपी अधिकतर ऐसे शिकार की तलाश करते थे जिन्हें मार्कशीट की जरूरत हो। ऐसे ही यूनिवर्सिटी की मार्कशिट बनाते थे, जिसका नेट या वेब साइट पर कोई रिकॉर्ड आसानी से नहीं मिल पाए। आरोपियों द्वारा प्रत्येक मार्कशीट की डिमांड और ग्राहक के हिसाब से दाम लिए जाते थे, जिसमें 10 हजार से लेकर डिमांड के अनुसार रुपए लिए जाते थे।

(इनपुट – हेमंत नागले)

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