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कभी दिल्ली में गिल्ली-डंडा खेलती थीं, आज स्कॉटलैंड में कंपनी चला रहीं, 800 करोड़ टर्नओवर, पढ़ें PBD में आईं वुमन आंत्रप्रेन्योर्स की सक्सेस स्टोरी

ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर इंदौर से विकास शुक्ला 
प्रवासी भारतीय सम्मेलन में मंगलवार का दिन वुमन आंत्रप्रेन्योर्स के लिए खास रहा। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने उनके साथ पैनल डिस्कशन किया। इस बीच हमारे सामने वे महिला आंत्रप्रेन्योर्स भी आईं, जिन्होंने किचन से निकलकर न सिर्फ सैकड़ों 1,000 करोड़ टर्नओवर की कंपनी तैयार की, बल्कि ग्लोबल इमेज भी बनाई। इन महिलाओं में से कुछ ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ पैनल डिस्कशन किया। पढ़ें, ऐसी ही तीन महिलाओं की कहानी…

जीरो से शुरू किया बिजनेस, आज 800 करोड़ टर्नओवर

दिल्ली की रहने वाली पूनम गुप्ता स्कॉटलैंड में ट्रेडिंग बिजनेस चलाती हैं। बताती हैं कि शादी के बाद 2002 में स्कॉटलैंड गईं। वहां जॉब नहीं मिली तो खुद का बिजनेस करने की सोची। मैंने ब्रिटिश महिलाओं पर रिसर्च किया कि वे कौन से प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करती हैं। उस समय नो प्लास्टिक का कॉन्सेप्ट नया था। मैंने पेपर का बिजनेस स्टार्ट किया। यह ट्रेडिंग बिजनेस था तो लगभग जीरो कैपिटल से स्टार्ट किया था। वहां से पेपर लेकर इंडिया में बेचा। ऑर्डर और डिलीवरी हमारा काम था। पांच साल में लोग मुझे जानने लगे। आज 8 देशों में हमारा बिजनेस है। अब तो भारत में मैं हॉस्पिटैलिटी,कंस्ट्रक्शन, रियल स्टेट और आईटी जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही हूं। अभी हमारी कंपनी प्लास्टिक अल्टरनेटिव पर काम कर रही है।

पूनम बताती हैं कि आज हम वेस्ट वॉलपेपर को नोटबुक बनाने तक में इस्तेमाल कर रहे हैं। वे बताती हैं कि जब मैंने कंपनी शुरू की तो पांच साल बाद अपने पति से इसे जॉइन करने को कहा, लेकिन पति ने कहा कि तुम मुझे अफोर्ड नहीं कर पाओगी। उस समय उनका पैकेज करीब 70 लाख था। मैंने उन्हें दोगुने पैकेज का ऑफर किया। आज हम दोनों साथ काम कर रहे हैं। कहती हैं कि कभी पुरानी दिल्ली में मैं लड़कों के गिल्ली डंडा खेला करती थी। लेकिन आत्मविश्वास था कि कुछ कर सकती हूं। इसमें मेरे पिता ने साथ दिया।

वर्धिनी का 20 लाख रियाल का सालाना टर्नओवर

वर्धिनी (बाएं) और रश्मि अग्रवाल (दाएं) ।

कतर से आईं वर्धिनी बताती हैं कि वे 15 साल से कतर में एसआर कल्सेंटेंसी और कंस्ट्रक्शन का बिजनेस चला रही हैं। भारत में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की रहने वाली हैं। एमबीए करने के बाद वह पति के साथ कंपनी में काम करती थीं। इसके बाद कतर में एचआर कंसल्टेंसी का बिजनेस शुरू किया। वर्धिनी कहती हैं कि अभी हमारे पास करीब 1,000 कर्मचारी हैं। पिछले सात साल से हम साथ काम कर रहे हैं। 20 लाख रियाल का सालाना बिजनेस कर रही हूं। उन्होंने कहा – निर्मला जी से जो बात हुई।

2 लोगों के साथ शुरू की थी कंपनी, आज 300 से अधिक कर्मचारी

कतर के दोहा में 19 साल साल से रह रहीं रश्मि अग्रवाल मूल रूप से राजस्थान की हैं। हालांकि, उनका जन्म और शिक्षा कोलकाता में हुई। उनकी कंपनी मैप्स इंटरनेशनल इंटरनेशनल इवेंट्स, गैलेरी और त्योहारों के प्रोजेक्ट्स करती है। कहती हैं- हम 2004 में कतर गए थे। दरअसल, मेरे पति को कतर में नौकरी मिली तो हम वहां शिफ्ट हो गए। वह मेट्रो प्रोजेक्ट में काम करते हैं। मुझे नौकरी नहीं करनी थी, तो मैंने कतर में अपनी कंपनी रजिस्टर की। इसमें 51 प्रतिशत कतर के पार्टनर होते हैं और 49 प्रतिशत हमारी होल्डिंग हाेती है। वे कहती हैं कि वुमन आंत्रप्रेन्योरशिप एक शब्द नहीं, बल्कि एक यात्रा है। जब हम से सोचते हैं कि एक हाउस वाइफ सिर्फ घर को संभालती है तो यह भी बड़ी बात है। लेकिन कोई महिला जब लोगाें के साथ जुड़ती है तो यह बड़ी होती जाती है। मेरा हमेशा सपना था कि उन महिलाओं को, आर्टिस्ट को सामने लाऊं जिन्हें प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाता है। मेरी इस सोच के चलते बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ी हैं। हमारी कंपनी 2010 में शुरू हुई थी। तब हमारे पास सिर्फ 2 लोग थे। अब हमारी कंपनी 65 देशों में काम कर रही है और इसमें 300 से अधिक लोग जुड़े हैं।

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