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चीन का स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष के कचरे से टकराया, बिजली गुल

चीनी एस्ट्रोनॉट्स ने स्पेसवॉक करके यान में आई खराबी को दुरुस्त किया

बीजिंग। चीन के स्पेस स्टेशन से अंतरिक्ष का कचरा टकराने की वजह से उसे नुकसान हुआ है। सोलर पैनल क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसकी वजह से स्पेस स्टेशन पर पॉवर सप्लाई में कमी आई थी। वहां मौजूद चीनी एस्ट्रोनॉट्स ने स्पेसवॉक करके उसे ठीक कर दिया है, लेकिन अंतरिक्ष के कचरे को लेकर अब चीन की आंखें खुली हैं। चीन खुद अंतरिक्ष में कचरा फैलाने के लिए बदनाम है, लेकिन जब खुद के स्पेस स्टेशन तियानगोंग पर आफत आई तो उसका दिमाग ठिकाने आया। चीन ने 25 अप्रैल को नए एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन भेजा है, ताकि वहां मौजूद एस्ट्रोनॉट्स को वापस लाया जा सके, साथ ही स्पेस स्टेशन की मरम्मत की जा सके।

खतरे से निपटने बनाई जा रही नई रणनीति

चीन का कहना है कि अंतरिक्ष का कचरा उसके आउटपोस्ट सोलर पैनल्स से टकराया था, जिसकी वजह से थोड़ी देर के लिए पॉवर लॉस हुआ था। बिजली सप्लाई में दिक्कत आई थी। चीन की स्पेस एजेंसी ने अब स्पेस डेबरी को लेकर गहन चर्चा की। स्पेस स्टेशन को बचाने के लिए नई नीति बनाई जा रही है। साथ ही उसे सुरक्षित रखने के लिए नई तकनीकी योजना बनाई गई है। एजेंसी ने कहा कि स्पेस के कचरे से तियानहे मॉड्यूल को भी नुकसान हुआ था। कुछ केबल्स कट गए थे। एजेंसी ने यह नहीं बताया कि ये कचरा किस प्रकार का था। बेहद सूक्ष्म पत्थर थे या किसी सैटेलाइट के टुकड़े। अंतरिक्ष के ये कचरे हमेशा से स्पेस स्टेशन के लिए खतरा रहे हैं। इस समय धरती के चारों तरफ करीब 7,500 एक्टिव सैटेलाइट चक्कर लगा रहे हैं। इनमें से सबसे ज्यादा स्टारलिंक सैटेलाइट्स हैं। 1998 में अंतरिक्ष में सेट होने के बाद से अब तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को अंतरिक्ष के कचरे से बचने के लिए 30 बार अपनी जगह और ऊंचाई बदलनी पड़ी है। चीन के तियानगोंग स्पेस स्टेशन को भी कई बार अपनी जगह बदलनी पड़ी है, ताकि वह अंतरिक्ष के कचरे से बचा रहे। चीन अब इस तैयारी में है कि वह अंतरिक्ष के कचरे को स्पेस स्टेशन आने से पहले ही पता कर सके।

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