अंतर्राष्ट्रीयराष्ट्रीय

Indus Water Treaty: ‘सिंधु जल संधि’ को लेकर भारत ने पाकिस्तान को जारी किया नोटिस, कहा- PAK ने हमें मजबूर किया

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। भारत ने सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाक की कार्रवाइयों ने सिंधु संधि के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। जिसकी वजह से भारत पाकिस्तान को नोटिस जारी करने पर मजबूर हुआ। इस नोटिस के जरिए पाकिस्तान को IWT के उल्लंघन (मटेरियल ब्रीच) को सुधारने के लिए 90 दिनों में इंटर गवर्नमेंट नेगोशिएशन करने का मौका दिया गया है।

सिंधु जल समझौते में संशोधन की मांग

सरकार का कहना है कि भारत इस समझौते को लागू करने के लिए हमेशा से कमिटेड रहा है, लेकिन पाकिस्तान की कार्रवाइयों ने भारत को जरूरी नोटिस जारी करने के लिए मजबूर कर दिया। मौजूदा हालात को देखते हुए भारत चाहता है कि सिंधु जल संधि में बदलाव हो। लेकिन पाकिस्तान इसे टाल रहा है और बार-बार वर्ल्ड बैंक के पास पहुंच जाता है। यह पहली बार है जब भारत ने सिंधु जल समझौते में संशोधन की मांग की है। 2017 से 2022 के बीच भारत ने 5 बार इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तान ने इनकार कर दिया।

क्या है सिंधु जल संधि

  • भारत और पाकिस्तान के बीच नौ सालों की बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में हस्ताक्षर किए थे। इस संधि में विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता है।
  • इसमें छह नदियों ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी के वितरण और इस्तेमाल करने के अधिकार शामिल हैं।
  • इस संधि के मुताबिक पूर्वी नदियों का पानी, कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो भारत बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है। भारत से जुड़े प्रावधानों के तहत रावी, सतलुज और ब्यास नदियों के पानी का इस्तेमाल परिवहन, बिजली और कृषि के लिए करने का अधिकार भारत को दिया गया।
  • इन नदियों के कुल 16.8 करोड़ एकड़-फीट में भारत का हिस्सा 3.3 करोड़ एकड़-फीट है, जो कुल हिस्से का लगभग 20 प्रतिशत है।
  • वर्ष 2015 में पाकिस्तान ने भारतीय किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं पर तकनीकी आपत्तियों की जांच के लिये तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति करने का आग्रह किया था।
  • वर्ष 2016 में पाकिस्तान इस आग्रह से एकतरफा ढंग से पीछे हट गया और इन आपत्तियों को मध्यस्थता अदालत में ले जाने का प्रस्ताव किया।
  • रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान का यह एकतरफा कदम संधि के अनुच्छेद 9 में विवादों के निपटारे के लिये बनाए गए तंत्र का उल्लंघन है। इसी के अनुरूप, भारत ने इस मामले को तटस्थ विशेषज्ञ को भेजने का अलग से आग्रह किया।
  • सूत्र ने बताया, ‘‘एक ही प्रश्न पर दो प्रक्रियाएं साथ शुरू करने और इसके असंगत या विरोधाभासी परिणाम आने की संभावना एक अभूतपूर्व और कानूनी रूप से अस्थिर स्थिति पैदा करेगी जिससे सिंधु जल संधि खतरे में पड़ सकती है।” उन्होंने कहा कि विश्व बैंक ने 2016 में इसे माना था और दो समानांतर प्रक्रियाएं शुरू करने को रोकने का निर्णय किया था, साथ ही भारत और पाकिस्तान से परस्पर सुसंगत रास्ता तलाशने का आग्रह किया था।
  • सूत्रों ने कहा कि, भारत द्वारा लगातार परस्पर सहमति से स्वीकार्य रास्ता तलाशने के प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान ने वर्ष 2017 से 2022 के दौरान स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठकों में इस पर चर्चा करने से इंकार कर दिया।
  • पाकिस्तान के लगातर जोर देने पर विश्व बैंक ने हाल ही में तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता अदालत की प्रक्रियाएं शुरू की। उन्होंने कहा कि एक ही मुद्दे पर समानांतर विचार किया जाना सिंधु जल संधि के प्रावधानों के दायरे में नहीं आता है। सूत्रों ने कहा कि इस तरह से सिंधु जल संधि के प्रावधानों के उल्लंघन के मद्देनजर भारत संशोधन का नोटिस देने के लिए बाध्य हो गया।

ये भी पढ़ें- पाकिस्तान के कई बड़े शहरों में बिजली गुल, नेशनल ग्रिड फेल होने से हुआ ब्लैक आउट

संबंधित खबरें...

Back to top button