
नगरीय निकाय चुनाव में लोगों ने नोटा के जरिए अपनी नाराजगी भी जाहिर की। NOTA यानी ‘ नन ऑफ द एबव ‘ यानी हमें कोई प्रत्याशी पसंद नहीं। इस नोटा ने इस बार कई पार्षद प्रत्याशियों को झटका दिया। इसकी वजह से कई पार्षद प्रत्याशियों की हार-जीत में बेहद कम वोटों का अंतर देखा गया।
Jabalpur में ṆOTA के इतने वोट
आंकड़ों के मुताबिक इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में तकरीबन 14 हजार लोगों ने नोटा का बटन दबाया। चुनावी आकड़ों में ये साफ दिखा कि कई वार्डों में लोगों ने नोटा का बटन दबाया और हार-जीत का अंतर नोटा के वोटों के काफी करीब था।
NOTA देता है एक संदेश
निर्वाचन आयोग की ओर से यह व्यवस्था की जाती है कि जो लोग मतदान तो करना चाहते हैं पर उन्हें कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं वे सबसे आखिर में नोटा का बटन दबा कर अपना मत दर्ज करा सकते हैं। नोटा का प्रावधान इसलिए किया जाता है जिससे रानीतिक दलों को प्रत्याशी चयन को लेकर एक संदेश भी मिले।
NOTA लाता है जीत-हार के फैसले में अंतर
दरअसल, नोटा कई बार प्रमुख पार्टियों के प्रतिद्वंदियों को फायदा या नुकसान पहुंचा सकता है। ये बाकी पार्टियों या निर्दलीय प्रत्याशियों की तरह किसी विशेष पार्टी के वोट काट सकता है, यानी हार-जीत के फैसले में अंतर।
महापौर के लिए कम दबा NOTA का बटन
नगर के सभी वार्डों में नोटा पर पड़े मतों का आकलन करें तो पार्षद-चुनाव की अपेक्षा महापौर के चुनाव में नोटा की बटन कम दबाई गई। पार्षदों के चुनाव में कुल 7490 मत नोटा में डाले गए, जबकि महापौर के चुनाव में 6337 वोट नोटा में गिरे।
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