
वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका के अरबपति उद्योगपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DoGE) ने भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए (21 मिलियन डॉलर) की फंडिंग को रद्द करने का फैसला किया है। इस फैसले को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने DoGE का समर्थन किया और सवाल उठाया कि अमेरिकी करदाताओं का पैसा भारत के चुनावी सुधारों में क्यों लगाया जा रहा था। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि भारत और पीएम मोदी के प्रति बहुत सम्मान है, लेकिन भारत के पास बहुत पैसा है।
ट्रंप का बयान– भारत को 182 करोड़ क्यों
मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “हम भारत को 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास बहुत ज्यादा पैसा है। भारत दुनिया के सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक है, खासतौर पर हमारे लिए। मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं, लेकिन मतदान के लिए अमेरिका भारत को पैसा क्यों दे रहा है?”
ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है और अमेरिका को वहां व्यापार करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
DoGE ने 15 अंतरराष्ट्रीय फंडिंग प्रोग्राम किए रद्द
DoGE ने एक लिस्ट जारी की है, जिसमें कुल 15 अंतरराष्ट्रीय प्रोग्रामों की फंडिंग रद्द कर दी गई है। इनमें से एक प्रोग्राम दुनियाभर में चुनावी प्रक्रियाओं को मजबूत करने से जुड़ा था, जिसका कुल बजट 4200 करोड़ रुपए था। भारत को इसमें से 182 करोड़ रुपए की फंडिंग मिलनी थी, जो अब रद्द कर दी गई है।
क्या है USAID
यह फंडिंग अमेरिकी सरकार की संस्था USAID (यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) के तहत दी जा रही थी। USAID की स्थापना 1961 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर गरीबी, बीमारी, आपदा और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मदद करना है। हालांकि, USAID खुद जमीन पर कोई काम नहीं करता बल्कि गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और मीडिया संस्थानों को फंडिंग देता है।
बीजेपी ने फंडिंग को बताया बाहरी हस्तक्षेप
भारत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इस फंडिंग को भारत के चुनावी सिस्टम में बाहरी हस्तक्षेप करार दिया है। बीजेपी के प्रवक्ता अमित मालवीय ने कहा, “मतदाताओं के लिए 21 मिलियन डॉलर? यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। इससे किसे फायदा होगा? यकीनन सत्तारूढ़ पार्टी को तो नहीं!”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यह फंडिंग भारत की लोकतांत्रिक संप्रभुता को प्रभावित करने का प्रयास हो सकती है।
जॉर्ज सोरोस का नाम आया सामने
अमित मालवीय ने इस फंडिंग को लेकर प्रसिद्ध अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस का नाम लिया, जिन पर दुनियाभर के दक्षिणपंथी नेताओं ने आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया, “एक बार फिर, यह जॉर्ज सोरोस हैं, जो कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। उनकी छाया हमारी चुनावी प्रक्रिया पर मंडरा रही है।”
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की जड़ें UPA सरकार के दौर से जुड़ी हुई हैं, जब भारत में विदेशी संगठनों को संस्थानों में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी गई थी।
पीएम मोदी की यात्रा के बाद आया यह फैसला
गौरतलब है कि यह फंडिंग कटौती का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के कुछ दिनों बाद आया है। इस दौरान मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क से मुलाकात की थी। मस्क द्वारा यह घोषणा करने से पहले ही USAID की आधिकारिक वेबसाइट अस्थायी रूप से बंद कर दी गई थी। बाद में, एक अमेरिकी न्यायाधीश ने अस्थायी निषेधाज्ञा आदेश जारी किया, जिसने DoGE को अपने 2,200 कर्मचारियों को प्रशासनिक अवकाश पर भेजने से रोक दिया।
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