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Ganesh Chaturthi 2023 : 18 या 19 सितंबर कब है गणेश चतुर्थी? इस बार 300 साल बाद बन रहा अद्भुत संयोग; ब्रह्म और शुक्ल योग में मनेगा गणेशोत्सव

Ganesh Chaturthi 2023 : गणेश चतुर्थी का महापर्व हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। मान्यता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था, यही वजह है कि इस चतुर्थी को मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहते हैं। यह कलंक चतुर्थी के नाम से भी प्रसिद्ध है।

चतुर्थी को गणपति की स्थापना की जाती है और अगले दस दिन यानी अनंत चतुर्दशी तक गणेश पूजन किया जाता है। इसके बाद अनंत चतुर्दशी को गणपति जी का विसर्जन किया जाता है। मान्यता है कि गणेश जी की पूजा से घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है। इस साल गणेश चतुर्थी पर लगभग 300 साल बाद अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है। वहीं सही तिथि को लेकर कई लोगों के मन में दुविधा है कि गणेश चतुर्थी 18 या 19 को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं…

गणेश चतुर्थी पर बन रहें कई शुभ संयोग और योग

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, इस साल बप्पा के आगमन पर कई शुभ योग बन रहें हैं। इस बार गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म, शुक्ल और शुभ योग बन रहे हैं। ऐसा संयोग 300 सालों मे एक बार देखने को मिलता है। इसके साथ स्वाति और विशाखा नक्षत्र का भी योग है। ऐसे में गणपति को घर लाना और उन्हें पूजना काफी अच्छा माना जाता है।

गणेश चतुर्थी 2023 तिथि

इस साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 और 19 सितंबर 2023 दो दिन पड़ रही हैं। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर होगी। वहीं 19 सितंबर 2023 को दोपहर 1 बजकर 43 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदय तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी और 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत 19 सितंबर को रहेगी, जोकि 28 सितंबर 2023 तक चलेगा।

पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त

गणेश पूजा मुहूर्त – 19 सितंबर की सुबह 11 बजकर 01 मिनट से दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक। 19 सितंबर को स्वाति और विशाखा नक्षत्र और वृश्चिक लग्न का भी योग है।

इस तरह करें गणपति स्थापना

गणेश चतुर्थी के दिन स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। पीले वस्त्र पर चावल का स्वास्तिक बनाकर उस पर भगवान श्रीगणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें। फिर भगवान गणेश जी को विशेष रूप से अक्षत, फूल और हरी दुर्वा चढ़ाएं एवं घी का दीपक जलाएं। मोदक, पंच मेवा, पांच फलों का भोग लगाएं। नारियल, तांबुल व कमल गट्टे, सुपारी व लौंग इलायची आदि चढ़ाएं। गणेश जी की आरती और मंत्रों का जाप करें।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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