
नई दिल्ली। किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच रविवार को चौथे दौर की बैठक हुई। इस बैठक में सरकार ने 3 फसलों मक्का, कपास और दलहन (अरहर और उड़द) पर MSP देने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट के साथ। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि, यह 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट नैफेड और NCCF से होगा। सरकार के प्रस्ताव के बाद किसानों का कहना है कि, वे 19 और 20 फरवरी को विचार-विमर्श करेंगे। इसके बाद 20 की शाम को अपना फैसला बता देंगे। तब तक वह दिल्ली कूच नहीं करेंगे।
मीटिंग में ये मंत्री रहे मौजूद
केंद्रीय मंत्रियों और किसानों की रविवार शाम को 8:30 बजे मीटिंग शुरू हुई थी, जो 5 घंटे से ज्यादा चली। मीटिंग में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, नित्यानंद राय, पीयूष गोयल समेत मुख्यमंत्री पंजाब भगवंत सिंह मान, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर, जगजीत सिंह डल्लेवाल मौजूद थे।
हम सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे : सरवन सिंह पंधेर
पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “हम सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे और उस पर राय लेंगे… निर्णय आज सुबह, शाम या परसों तक लिया जाएगा… मंत्रियों ने कहा कि दिल्ली लौटने के बाद वे अन्य मांगों पर चर्चा करेंगे… चर्चा 19-20 फरवरी को होगी और 21 फरवरी को होने वाले ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर चर्चा के आधार पर निर्णय लिया जाएगा… हम (सरकार और किसान संघ) मिलकर मुद्दों का समाधान खोजने का प्रयास करेंगे।” कर्ज माफी और अन्य मांगों पर चर्चा लंबित है और हमें उम्मीद है कि अगले दो दिनों में इनका समाधान हो जाएगा। 21 की सुबह 11 बजे तक दिल्ली कूच को स्टैंडबाय पर रखा है। पंधेर ने कहा कि, सभी मुद्दे नहीं सुलझे केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं की इससे पहले 8, 12 और 15 फरवरी को मुलाकात हुई थी लेकिन बातचीत बेनतीजा रही।
सरकार ने किसानों को दिए ये प्रस्ताव
- केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि, सरकार चार फसलों पर पांच साल के लिए MSP देने को तैयार है।
- किसानों को पांच साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसियों द्वारा दालों, मक्का और कपास की फसलों की खरीद का प्रस्ताव दिया है.
- नैफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ) और एनसीसीएफ (राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ) जैसी सहकारी समितियां उन किसानों के साथ अनुबंध करेंगी जो ‘उड़द दाल’, ‘अरहर दाल’, ‘मसूर दाल’ या मक्का उगाते हैं। अगले पांच सालों तक उनकी फसल एमएसपी पर खरीदी जाएगी।
- इसके लिए एक पोर्टल भी बनाया जाएगा। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। खरीद की मात्रा पर कोई सीमा नहीं होगी यानि अनलिमिटेड होगी।
- किसान नेताओं ने पंजाब में गिरते जल स्तर का मुद्दा उठाया। सरकार का मानना है कि, अलग-अलग फसलों के उत्पादन से पंजाब की खेती बचेगी, भूजल स्तर में सुधार होगा और भूमि को बंजर होने से बचाया जाएगा जिस पर पहले से ही खतरा मंडरा रहा है। अनाजों को MSP पर खरीदा जाए, तो अनाजों के देश में इम्पोर्ट में कमी आएगी और जल स्तर की भी रिकवरी होगी।
पहले हुईं तीन बैठकों में क्या हुआ
किसानों की मांगों पर केंद्र सरकार लगातार बातचीत कर रही है। 18 फरवरी को हुई बैठक से पहले तीन बैठकें हुईं थीं। किसानों का आंदोलन 13 फरवरी से शुरू हुआ। इसके पहले दो बैठकें हुईं। इस बैठक में केंद्रीय मंत्रियों ने पेपरवर्क के लिए रविवार तक का समय मांगा था।
- 8 फरवरी को पहली बैठक : किसान आंदोलन रोकने के लिए पंजाब CM भगवंत मान ने किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों की चंडीगढ़ में 8 फरवरी को पहली बैठक की थी। किसानों के केस वापस लेने, नकली बीजों और स्प्रे बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई समेत अन्य मांगों पर सहमति बनी थी। लेकिन MSP पर सहमति ना बनने पर किसानों ने दिल्ली कूच का फैसला किसा।
- 12 फरवरी को दूसरी बैठक : किसान आंदोलन रोकने की दूसरी बैठक 12 फरवरी को हुई, वो भी बेनतीजा रही। चंडीगढ़ में साढ़े 5 घंटे की मीटिंग के बाद किसान नेताओं ने कहा कि हर मुद्दे पर चर्चा हुई लेकिन, सरकार किसानों की मांगों पर सीरियस नहीं थी। किसान टकराव नहीं चाहते, लेकिन सरकार टकराव चाहती है। सरकार के मन में खोट हैं, जिसके बाद किसानों ने आंदोलन पर कायम रहने की बात कही।
- 15 फरवरी को तीसरी बैठक : किसान आंदोलन रोकने की दूसरी बैठक 15 फरवरी को हुई, वो भी बेनतीजा रही। बैठक रात 8 बजे से शुरू हुई और करीब 1:30 बजे तक चली लेकिन, कोई हल नहीं निकला। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने ‘भारत बंद’ का ऐलान किया। भारत बंद में देश के सभी किसान यूनियनों के साथ ट्रक और ट्रेड यूनियन ने भी किसानों का समर्थन किया।
किसानों की मुख्य मांगें
इस बार के आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा कर रहे हैं। किसानों की मुख्य मांगें हैं-
- MSP की कानूनी गारंटी
- डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से कीमत तय हो।
- किसानों और खेत में काम करने वाले मजदूरों को पेंशन दी जाए।
- कृषि ऋण माफी।
- बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं।
- 2021 के लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए।
- 2020-21 में हुए किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए।
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