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अंडमान-निकोबार और मणिपुर में महसूस हुए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 4.4 मापी गई तीव्रता

मणिपुर के उखरुल में सोमवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.4 मापी गई। इस बात की जानकारी नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी (National Centre for Seismology) ने दी है। भूकंप उसरुल के 56 किलोमीटर पूर्व-दक्षिणपूर्व में सुबह 7:48 बजे आया था। अभी तक किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। इससे कुछ दिन पहले भी यहां से भूकंप की खबर आई थी।

अंडमान निकोबार में भी आया भूकंप

सोमवार को ही करीब दो घंटे पहले पोर्ट ब्लेयर और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह से भूकंप की खबर सामने आई थी। यहां सुबह 5 बजकर 28 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। जिसकी तीव्रता 4.3 मापी गई है। इससे पहले सिक्कम में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। यहां भूकंप का केंद्र राजधानी गंगटोक से करीब 18 किलोमीटर दूर था। इस दौरान किसी नुकसान की खबर नहीं आई है।

गुरुवार को भी महसूस किए गए थे भूकंप के झटके

इससे पहले गुरुवार को भी मणिपुर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। यहां सुबह के समय मोइरंग के पास भूकंप आया था। नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी ने बताया था, ‘रिक्टर स्केल पर 3.5 की तीव्रता का भूकंप सुबह 6 बजे के करीब आया था।’ हालांकि इसमें किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं आई थी।

आखिर क्यों आते हैं भूकंप?

भूकंप आने के पीछे की वजह पृथ्वी के भीतर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। हमारी पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती हैं। जब ये आपस में टकराती हैं, तब फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। जिसकी वजह से सतह के कोने मुड़ जाते हैं और वहां दबाव बनने लगता है। ऐसी स्थिति में प्लेट के टूटने के बाद ऊर्जा पैदा होती है, जो बाहर निकलने के लिए रास्ता ढूंढती है। जिसकी वजह से धरती हिलने लगती है।

कैसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र (एपीसेंटर) से मापा जाता है। भूकंप को लेकर चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है। मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है। जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है।

किस तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक है

  • 0 से 1.9 तीव्रता का भूकंप काफी कमजोर होता है। सीज्मोग्राफ से ही इसका पता चलता है।
  • वहीं 2 से 2.9 तीव्रता का भूकंप रिक्टर स्केल पर हल्का कंपन करता है।
  • 3 से 3.9 तीव्रता का भूकंप आने पर ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर गया हो।
  • 4 से 4.9 तीव्रता का भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। साथ ही दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं।
  • 5 से 5.9 तीव्रता का भूकंप आने पर घर का फर्नीचर हिल सकता है।
  • 6 से 6.9 तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है।
  • 7 से 7.9 तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है। इससे बिल्डिंग गिर जाती हैं और जमीन में फाइप फट जाती है।
  • 8 से 8.9 तीव्रता का भूकंप काफी खतरनाक होता है। जापान, चीन समेत कई देशों में 8.8 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप ने खूब तबाही मचाई थी।
  • 9 और उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने पर पूरी तबाही होती है। इमारतें गिर जाती है। पेड़ पौधे, समुद्रों के नजदीक सुनामी आ जाती है।

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