ग्वालियरमध्य प्रदेश

शराब, औरत और मोबाइल से मरे सारे डकैत, मैं सबसे दूर था, इसलिए बचा रहा

22 साल तक चंबल के बीहड़ में रहे डकैत गुड्डा गुर्जर की कहानी, उसी की जुबानी

अर्पण राउत,ग्वालियर।
चंबल के आखिरी 60 हजार के कुख्यात डकैत 22 साल तक बीहड़ में छुपे रहने का राज मोबाइल फोन, औरत और शराब से दूर रहना रहा, वो किसी पर भरोसा नहीं करता था। खाना भी पहले सामने वाले को खिलाता, गैंग में भी परमानेंट किसी को साथ नहीं रखा। शॉर्ट एनकाउंटर में ग्वालियर पुलिस की गिरफ्त में आए कुख्यात डकैत गुड्डा गुर्जर से पूछताछ में उसके बागी जीवन के छुपे पहलू सामने आए हैं। खास चर्चा में उसने बताया कि गांव में एक हत्या होने के बाद वह फरार हो गया था, इसके बाद वह अपराध जगत में शामिल रहा और आम जिंदगी की ओर नहीं देखा।

डाकुओं की जान उनके मोबाइल में

दो दशकों तक पुलिस की नजर से वह कैसे बचता रहा, इस पर उसका जवाब चौका देने वाला था। गुड्डा ने बताया कि वह पुराने डकैतों के जीवन से सबक लेता था। उन्होंने जिंदगी में जो गलतिया कीं वो दोहरा कर अपना नुकसान नहीं करना चाहता था। ऐसे में उसने सबसे पहले पुलिस के सबसे अचूक हथियार सर्विलास सिस्टम से बचने का तरीका समझा। इसके लिए उसने कभी भी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया। वह अपने पास एक डायरी रखता था, जिसमें वह मोबाइल नंबर लिखता था ऐसे में जब उसे किसी से बात करना होती थी तो रास्ते में किसी का भी मोबाइल छीनकर कॉल करता और निकल जाता। पुलिस तक वह नंबर भी पहुंचता तो उसके बारे में कभी सुराग नहीं लगता। वह कहता है कि जिस तरह से जिन्न की जान तोते में होती है। उसी तरह हर डकैत की जान उसके मोबाइल में होती है।

नशा नहीं करने से हमेशा रहा अलर्ट, कोई गलत शौक नहीं

गुड्डा का कहना था कि अपराधी की सबसे बड़ी गलती औरत और शराब होती है। वह शराब को छूता तक नहीं है, ऐसे में नशे की लत ना होने से वह हमेशा अलर्ट रहता था। वहीं, औरतों से वह हमेशा दूरी रखता था। इसके लिए वह कभी गलत शौक के चलते किसी गांव या शहर की ओर रुख नहीं करता था। दूसरे डकैत अपने शौक के चलते पुलिस की गोली के शिकार बने। उसने कहा कि इन तीन बातों का उसने बेहद गंभीरता से ध्यान रखा, यही वजह रही कि पुलिस उसकी कोई कमजोर नस नहीं पकड़ सकी और वह लगातार वारदात कर पुलिस को चकमा देता रहा।

चार दिन भूखे रहने की क्षमता

गुड्डा बताता है कि बीहड़ में उतरने के बाद उसने अपने आप को हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार किया। इसके लिए उसने चार-चार दिन तक खाना न मिलने पर भूखा रहना सीखा। इसके साथ ही सुरक्षा के लिहाज से वह हमेशा अपने पास दो लोडेड बंदूकें और दो बिडोरिया (कारतूस रखने का पट्टा) हमेशा कमर में बांध कर रखता था।

रिश्तेदारों पर भी भरोसा नहीं, शादी भी नहीं की थी

गुड्डा कभी किसी पर भरोसा नहीं करता था। वह अपने परिवार के लोगों पर भी विश्वास नहीं रखता था, उसने शादी नहीं की थी, ऐसे में उसका परिवार से कोई खास वास्ता भी नहीं था। भरोसे की बात करें तो वह पहले खाना लाने वाले को खिलाता था, इसके बाद उसकी थाली में ही खाता था। वह इतना अलर्ट था कि गैंग में मेंम्बर भी परमानेंट नहीं रखता था। आखिरी समय तक उसके साथ जोगेन्दर और कल्ली ही थे, जो पुलिस मुठभेड़ में उसे घायल छोड़कर भाग निकले। वह शरीर से तगड़ा जरूर था, लेकिन पचास-साठ किमी रोजाना एक बार में चलने का माद्दा रखता है।

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