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Aditya-L1 Mission : 4 महीने में 15 लाख किमी सफर के बाद आदित्य L1 पहुंचा लैग्रेंज पॉइंट पर, 126 दिनों बाद मिली सफलता

दिल्ली। इसरो को चार महीने बाद आखिरकार अपने सोलर मिशन में कामयाबी मिल गई है। सूरज मिशन पर निकला सैटेलाइट आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अपनी मंजिल पर पहुंच चुका है। आदित्य-L1 ने 126 दिनों में 15 लाख किमी की दूरी तय करने के बाद शनिवार को सन-अर्थ लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) पर पहुंच गया है। अंतरिक्ष में L1 पाइंट एक ऐसी जगह है, जहां पृथ्वी और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित रहता हैं। यह जगह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। हालांकि L1 तक पहुंचना और स्पेसक्राफ्ट को हैलो ऑर्बिट में बनाए रखना कठिन टास्क था।

पीएम मोदी ने दी बाधाई

पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- भारत ने एक और लैंडमार्क कायम किया है। सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का स्पेसक्राफ्ट आदित्य L1 अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच गया है। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम का प्रमाण है। मोदी ने संदेश में लिखा कि मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता को फायदा पहुंचाने के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

सूरज के राज खोलेगा आदित्य

स्पेसक्राफ्ट में 440N लिक्विड अपोजी मोटर (LAM) लगी है, जिसकी मदद से आदित्य-L1 को हेलो ऑर्बिट में पहुंचाया गया। इसके अलावा आदित्य-L1 में आठ 22N थ्रस्टर और चार 10N थ्रस्टर हैं, जो इसके ओरिएंटेशन और ऑर्बिट को कंट्रोल करने के लिए जरूरी हैं। अब यह स्पेशक्राफ्ट हैलो आर्बिट में रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा। यह सौर तूफानों और सूर्य की ऊपरी सतह की भी स्टडी करेगा। इसरो ने आदित्य L1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकेंड बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की 235 किमी x 19500 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया था।

लैगरेंज पॉइंट-1 पर नहीं पड़ता ग्रहण का प्रभाव

आदित्य एल1 करीब 4 महीने बाद 15 लाख Km दूर लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है।

126 दिनों का सफर, दो बार बढ़ाई ऑर्बिट

2 सितंबर : सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आदित्य L1 को लॉन्च किया गया था। स्पेसक्राफ्ट को लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकेंड बाद पृथ्वी की 235 Km x 19500 Km की कक्षा में स्थापित कर दिया था।
3 सितंबर : इसरो के वैज्ञानिकों ने पहली बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई थी। तब इसे पृथ्वी की 245 Km x 22459 Km की कक्षा में भेजा गया।

5 सितंबर : रात 2.45 बजे आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट दूसरी बार बढ़ाई गई थी। तब इसे पृथ्वी की 282 किमीx 40,225 किमी की कक्षा में भेजा गया था।

10 सितंबर : तीसरी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई गई। इसे पृथ्वी की 296 किमी x 71,767 किमी की कक्षा में भेजा गया। इसकी पृथ्वी से अब सबसे ज्यादा दूरी 71,767 किलोमीटर और सबसे कम दूरी 296 किलोमीटर है।

15 सितंबर : सुबह 2 बजे उपग्रह आदित्य एल1 को चौथी कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद आदित्य एल1 को एक और बार कक्षा बदलनी पड़ेगी। इसके बाद वो ट्रांस-लैंग्रेजियन1 कक्षा में चला जाएगा।
18 सितंबर : आदित्य एल1 धरती के स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर चला गया। इस पॉइंट को धरती का एग्जिट पॉइंट कहा जाता है।

5 चरणों में हुआ सूरज तक का सफर

लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे आम बोलचाल की भाषा में L1 नाम से जाना जाता है। धरती से सूरज तक का सफर पांच चरणों में हुआ। जिसमें पहला फेज- PSLV रॉकेट से लॉन्च, दूसरा फेज- पृथ्वी के चारों और ऑर्बिट का विस्तार, तीसरा फेज- स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर, चौथा फेज- क्रूज फेज और पांचवां फेज- हैलो ऑर्बिट L1 पॉइंट है।

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