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ISRO Solar Mission: आदित्य L1 ने सूरज की ओर बढ़ाया तीसरा कदम, ISRO ने बढ़ाई ऑर्बिट; 15 सितंबर का दिन अहम

बेंगलुरु। इसरो ने 10 सितंबर को तीसरी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई। आदित्य L1 अब पृथ्वी की 296 किमी x 71,767 किमी की कक्षा में है। इसकी पृथ्वी से अब सबसे ज्यादा दूरी 71,767 किलोमीटर और सबसे कम दूरी 296 किलोमीटर है। ऑपरेशन के दौरान मॉरीशस, बंगलूरू और पोर्ट ब्लेयर स्थित इसरो के ग्राउंड स्टेशनों से मिशन की प्रक्रिया को ट्रैक किया गया। वहीं 15 सितंबर को एक बार फिर आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई जाएगी।

3 और 5 सितंबर को भी बढ़ाई गई थी ऑर्बिट

2 सितंबर : सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आदित्य L1 को लॉन्च किया गया था। स्पेसक्राफ्ट को लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकेंड बाद पृथ्वी की 235 Km x 19500 Km की कक्षा में स्थापित कर दिया था।

3 सितंबर : इसरो के वैज्ञानिकों ने पहली बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई थी। तब इसे पृथ्वी की 245 Km x 22459 Km की कक्षा में भेजा गया।

5 सितंबर : रात 2.45 बजे आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट दूसरी बार बढ़ाई गई थी। तब इसे पृथ्वी की 282 किमीx 40,225 किमी की कक्षा में भेजा गया था।

10 सितंबर : तीसरी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई गई। इसे पृथ्वी की 296 किमी x 71,767 किमी की कक्षा में भेजा गया। इसकी पृथ्वी से अब सबसे ज्यादा दूरी 71,767 किलोमीटर और सबसे कम दूरी 296 किलोमीटर है।

दो बार और बदली जाएगी ऑर्बिट

15 सितंबर : सुबह 2 बजे उपग्रह आदित्य एल1 को चौथी कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद आदित्य एल1 को एक और बार कक्षा बदलनी पड़ेगी। इसके बाद वो ट्रांस-लैंग्रेजियन1 कक्षा में चला जाएगा।

18 सितंबर : आदित्य एल1 धरती के स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर चला जाएगा। इस प्वाइंट को धरती का एग्जिट प्वाइंट कहा जाता है।

लैगरेंज पॉइंट-1 पर नहीं पड़ता ग्रहण का प्रभाव

आदित्य एल1 करीब 4 महीने बाद 15 लाख Km दूर लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है। अगर मिशन सफल रहा और आदित्य स्पेसक्राफ्ट लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंच गया, तो नए साल में इसरो के नाम ये बड़ी उपलब्धि होगी।

5 चरणों में होगा सूरज तक सफर

लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। धरती से सूरज तक का सफर पांच चरणों में होगा। जिसमें पहला फेज- PSLV रॉकेट से लॉन्च, दूसरा फेज- पृथ्वी के चारों और ऑर्बिट का विस्तार, तीसरा फेज- स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर, चौथा फेज- क्रूज फेज और पांचवां फेज- हैलो ऑर्बिट L1 प्वाइंट है।

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