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उमेश पाल अपहरण केस में गैंगस्टर अतीक अहमद समेत तीन को उम्रकैद, भाई अशरफ समेत 7 बरी

उमेश पाल अपहरण मामले में प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट ने अतीक अहमद समेत तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही तीनों दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगा है। अतीक के भाई अशरफ अहमद समेत सात आरोपियों को निर्दोष करार दिया है। 17 साल पुराने इस केस की सुनवाई पूरी हो गई है। बता दें कि पूर्व सांसद अतीक अहमद को 2005 में बीएसपी विधायक राजू पाल हत्याकांड मामले के मुख्य गवाह, उमेश पाल के अपहरण के मामले में मंगलवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा की मांग ठुकराई

उच्चतम न्यायालय ने उमेश पाल हत्याकांड में जेल में बंद पूर्व सांसद एवं कथित गैंगस्टर अतीक अहमद की उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत के दौरान सुरक्षा की मांग वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेल एम. त्रिवेदी की पीठ ने जान को खतरा होने के अतीक अहमद के दावे पर उसे सुरक्षा के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करने की अनुमति दी। शीर्ष अदालत ने हालांकि उसके जान को खतरा होने के दावे को ‘रिकॉर्ड’ में लेने से इनकार करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य प्रशासन उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। पीठ ने कहा- इस मामले में अदालत दखल नहीं देगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करने की अनुमति दी जाती है। कानून के तहत जो भी प्रक्रिया निर्धारित है उसका पालन किया जाए।

अहमद के वकील ने कहा कि उनकी जान को गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा- मैं किसी तरह की हिरासत या पुलिस की पूछताछ से नहीं बच रहा, लेकिन मैं सुरक्षा चाहता हूं क्योंकि मेरी जान को गंभीर खतरा है। हालांकि पीठ ने उसकी याचिका खारिज कर दी। याचिका में अहमद ने दावा किया था कि उसे और उसके परिवार को प्रयागराज के उमेश पाल हत्या मामले में गलत तरीके से ‘फंसाया’ जा रहा है। प्रयागराज में 2005 में बहुजन समाज पार्टी के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षा कर्मियों की दिनदहाड़े गोली मारकर 24 फरवरी को हत्या कर दी गई थी।

24 फरवरी को हुई उमेश पाल की हत्या

बता दें कि 24 फरवरी 2023 को इसी अपहरण के केस की सुनवाई के दौरान उमेश पाल पर सुलेमसराय इलाके में गोलियां बरसाकर उनकी हत्या कर दी गई है। इस हमले में दो सरकारी गनर संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह भी मारे गए थे। अपहरण केस के फैसले पर उमेश पाल की पत्नी जया पाल, मां शांति पाल समेत अन्य लोगों को इंतजार है, लेकिन उन्हें लगता है कि पहले ही अतीक और उसके करीबियों पर शिकंजा कसता तो शायद उमेश आज जिंदा होते।

2005 के राजू पाल हत्याकांड से जुड़ा है केस

25 जनवरी 2005 को बसपा के तत्कालीन विधायक राजू पाल की हत्या की गई थी। इस हत्याकांड में राजू पाल के साथ ही देवी लाल पाल और संदीप यादव की भी हत्या की गई थी। मामले में उमेश पाल गवाह थे। उमेश पाल पर गवाही न देने का दबाव बनाने के लिए 28 फरवरी 2006 को उनका अपहरण किया गया था। अतीक पर अपहरण के आरोप लगे थे। बताया जाता है कि अपहरण के बाद 3 दिनों तक उमेश को टॉर्चर किया गया और इसके बाद 1 मार्च 2006 को उनसे पक्ष में गवाही दिलवाई गई थी।

2007 में दर्ज हुआ था केस

5 जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में केस दर्ज हुआ था। मामले में अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, खान सौलत हनीफ, अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा, दिनेश पासी, फरहान इसरार, आबिद प्रधान, एजाज अख्तर, आशिक उर्फ मल्ली भी नामजद आरोपी थे। इस मामले में अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा की मौत हो गई थी।

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