
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के तहत इस साल बोर्ड एग्जाम में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स से बातचीत की। नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुए इस कार्यक्रम का यह छठा सत्र था। इस दौरान पीएम मोदी ने घर में मां के मैंनेजमेंट, क्रिकेट की गुगली, पतंग का मांझा, पार्लियामेंट में सांसदों की नोकझोक जैसे उदाहरण देकर बच्चों को समझाया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, तनाव से दूर कैसे रहा जाए।
तनाव से मुक्ति का दिया मंत्र
PM मोदी ने कहा कि, हम दिन-रात कॉम्पिटिशन के भाव में जीते हैं। होनहार बच्चों से तुलना करते हैं, हम अपने लिए जीएं, अपने में जीएं और अपनों से सीखते हुए जीएं, सीखना सभी से चाहिए लेकिन अपने भीतर के सामर्थ पर बल देना चाहिए। अगर हम अपने सामर्थ्य पर ध्यान देते हैं, तो तनाव नहीं होता। जीवन के स्टेशन में एक ट्रेन छूट गई तो दूसरी ट्रेन आएगी दूसरे बड़े स्टेशन पर ले जाएगी आप चिंता मत कीजिए। कोई भी एग्जाम जीवन का अंत नहीं होता। हमें तनाव से मुक्ति का संकल्प लेना होगा। परिणाम के तनाव को मन में लेने की जरूरत नहीं है।
PM मोदी ने कहा कि, आज हर कदम पर परीक्षा देनी पड़ती है। नकल से जिंदगी नहीं बन सकती है।
तनाव से मुक्ति का संकल्प
इस तनाव से मुक्ति का मन में संकल्प कर लेना चाहिए जो भी- जो भी आएगा मैं जिंदगी को जीने का तरीका जानता हूं मैं इससे भी निपट लूंगा और अगर आप ये कर लेते हैं तो यह आराम से हो जाता है।
मां से सीखें टाइम मैनेजमेंट
पीएम मोदी ने कहा कि, सिर्फ परीक्षा नहीं, जीवन में भी टाइम मैनेजमेंट के लिए जागरूक रहना चाहिए। काम करने की कभी थकान नहीं होती, काम करने से संतोष होता है। काम ना करने से थकान होती है कि इतना काम बचा है। उदाहरण देते हुए कहा कि, क्या आपने कभी अपनी मां के समय प्रबंधन कौशल को देखा है? एक मां अपने द्वारा किए जाने वाले सारे कामों से कभी भी बोझिल महसूस नहीं करती है। अगर आप अपनी मां को ध्यान से देखेंगे, तो आप समझ पाएंगे कि अपने समय का अच्छे से प्रबंधन कैसे किया जाता है।
पीएम मोदी की बड़ी बातें
- पीएम मोदी ने कहा कि, परीक्षा पे चर्चा मेरी भी परीक्षा है। कोटि-कोटि विद्यार्थी मेरी परीक्षा लेते हैं और इससे मुझे खुशी मिलती है। ये देखना मेरा सौभाग्य है कि मेरे देश का युवा मन क्या सोचता है।
- परिवार के लोगों को सोशल स्टेटस के कारण बच्चों से अपेक्षाएं नहीं करनी चाहिए। अगर ऐसा हो रहा है तो ये चिंता का विषय है।
- जिस तरह क्रिकेटर का ध्यान लोगों के चिल्लाने पर नहीं, बल्कि अपने खेल पर फोकस होता है। इसी तरह आप भी दबावों के दबाव में ना रहें।
- आपके भीतर की जो ताकत है, वही ताकत आपको आगे ले जाएगी। एग्जाम तो आती है, जाती है, लेकिन हमें जिंदगी जीभर के जीनी है। इसलिए हमें शॉर्टकट की ओर नहीं जाना चाहिए।
- सामान्य लोग जब आसामन्य काम करते हैं, तो ऊंचाई पर चले जाते हैं और एवरेज के मानदंड को तोड़ देते हैं।
- समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है।
- भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है। हम गर्व के साथ कहते हैं कि हमारे पास सैकड़ों भाषाएं हैं। ये हमारी रिचनेस है और इस पर हमें गर्व होना चाहिए।
- अगर विद्यार्थी सवाल पूछता है तो मानकर चलिए कि यह उसकी जिज्ञासा है, जो उसकी जिंदगी की अमानत है। इसलिए उसे दबाइए मत, उसका समाधान करने का प्रयास कीजिए।
- हमें बच्चों को विस्तार देने का अवसर देना चाहिए, उन्हें बंधनों में नहीं बांधना चाहिए। अपने बच्चों को समाज के विभिन्न वर्गों में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
20 लाख से ज्यादा प्रश्न प्राप्त हुए थे
परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का यह छठा संस्करण था। इस साल परीक्षा पे चर्चा 2023 के लिए लगभग 38.8 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जो पिछले साल पंजीकृत छात्रों की संख्या (15.73 लाख) से दोगुना है। इस प्रोग्राम के लिए 20 लाख से अधिक प्रश्न प्राप्त हुए थे।
2018 में इसकी शुरूआत की गई थी
प्रधानमंत्री के संवाद कार्यक्रम का पहला संस्करण ‘परीक्षा पे चर्चा 1.0’ 16 फरवरी, 2018 को आयोजित किया गया था। स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स के साथ प्रधानमंत्री का संवाद कार्यक्रम तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया था। पीएम मोदी हर साल की तरह इस साल भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देशभर के उन सारे बच्चों से जुड़ेंगे, जो बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे।
क्या है परीक्षा पर चर्चा का मकसद
पीएम मोदी के इस कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य है कि, छात्र टेंशन फ्री होकर परीक्षा दें। कार्यक्रम के दौरान देशभर के छात्रों से पीएम मोदी सीधा संवाद करते हैं। परीक्षा से जुड़े पहलुओं पर चर्चा करते हैं। इसके साथ ही उनका मकसद देशभर के उन सभी छात्रों का हौसला बढ़ाना है, जो बोर्ड या किसी कंपटीशन की तैयारी कर रहे होते हैं। पीएम मोदी छात्रों के सवालों का जवाब देने के साथ ही उन्हें मोटिवेट करते हैं।