
नई दिल्ली। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) से जुड़े मामलों में जमानत को लेकर बुधवार (28 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि PMLA के मामलों में भी जमानत नियम और जेल अपवाद है। बता दें कि कोर्ट ने ये टिप्पणी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए की है और उन पर राज्य में अवैध खनन में शामिल होने का आरोप है।
कोर्ट ने झारखंड उच्च न्यायालय के 22 मार्च के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। साथ ही कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत को मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया।
पीठ ने क्या कहा ?
जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और धन शोधन मामले में आरोपी की जमानत के लिए दोहरी शर्तें रखने वाली पीएमएलए की धारा 45 में भी सिद्धांत को इस तरह से नहीं लिखा गया कि स्वतंत्रता से वंचित करना नियम है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े धनशोधन और भ्रष्टाचार मामलों में 9 अगस्त के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा इससे वंचित किया जाना अपवाद है। पीठ ने कहा कि पीएमएलए की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तें इस सिद्धांत को खत्म नहीं करतीं।
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