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ताइवान पहुंचीं अमेरिकी स्पीकर Nancy Pelosi, भड़के चीन ने किया 6 जगहों पर लाइव फायर ड्रिल का ऐलान

चीन के कई बार विरोध जताने के बावजूद आखिरकार अमेरिका की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं। अमेरिकी नेवी और एयरफोर्स के 24 एडवांस्ड फाइटर जेट्स ने नैंसी के प्लेन को एस्कॉर्ट किया। पेलोसी के दौरे से चिढ़कर चीन अब ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। पेलोसी ने मीडिया से चर्चा में ताइवान की सरकार व जनता से कहा कि उनकी यात्रा मानवाधिकारों की रक्षा, अनुचित व्यापार परंपराओं का विरोध और सुरक्षा को लेकर है।

ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा चीन

पेलोसी के दौरे से चिढ़कर चीन अब ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। चीन ने ताइवान से आयात किए जाने वाले खट्टे फल, सफेद धारीदार हेयरटेल (मछली) और फ्रोजन हॉर्स मैकेरल (मछली) के आयात पर रोक लगा दी है। इससे पहले चीन ने कहा था कि वह अगस्त से ताइवान को प्राकृतिक रेत के निर्यात पर रोक लगा देगा।

चीन ने कही टारगेटेड मिलिट्री एक्शन की बात

अमेरिका में नंबर तीन की ताकत रखने वाली स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार रात 8 बजकर 14 मिनट पर ताइवान पहुंची हैं। उनकी फ्लाइट के लैंड होने के तुरंत बाद चीन ने ताइवान में targeted military actions यानी चुनकर सैन्य ठिकानों पर हमले की बात कही। अमेरिका से पेलोसी के ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने गुरुवार से ताइवान के छह तरफ सैन्य अभ्यास का एलान किया है। इस ड्रिल में J-20 stealth fighter jets को भी शामिल किया गया है।

चीन ताइवान को चारों तरफ से घेरकर छह इलाकों में मिलिट्री ड्रिल करेगा। चीनी सेना ने कहा है कि वह गुरुवार से रविवार तक ताइवान के आसपास के छह क्षेत्रों में जरूरी मिलिट्री ड्रिल करेगा। इसमें लाइव फायर ड्रिल भी शामिल होंगी।

21 चीनी सैन्य विमानों ने ताइवान में उड़ान भरी

चीन ने पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर अमेरिका को गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दी थी। पेलोसी इस धमकी को नजरअंदाज कर एक दिनी यात्रा पर वहां पहुंचीं। नैंसी पेलोसी का ताइवान का ये दौरा 25 साल में अमेरिका के किसी भी चुने हुए सर्वोच्च नेताओं में पहला दौरा है। वहीं, नैंसी के दौरे के दिन चीन ने भी ताइवान के डिफेंस जोन में 21 एयरक्रॉफ्ट उड़ाकर चेतावनी देने की कोशिश की।

ताइवान में नैंसी पेलोसी की सुरक्षा व्यवस्था कैसी है?

1- अमेरिका के 6 सीक्रेट सर्विस फील्ड एजेंट्स हर संभव खतरे पर नजर रख रहे हैं।

2- ताइवान की मिलिट्री पुलिस टीम तैनात की गई है।

3- ताइवान के F-16 एयरक्रॉफ्ट को तैनात किया गया है।

4- अमेरिका के 2 P-8A सर्विलांस एयरक्रॉफ्ट तैनात किए गए हैं।

5- इसके अलावा अमेरिका के 2 RQ-1 प्रेडेटर ड्रोन भी नैंसी पेलोसी की सुरक्षा में लगे हुए हैं।

6- अमेरिका का मिलिट्री सैटेलाइट।

चीन-ताइवान की जंग किस बात पर है?

ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है। 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी। तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं, लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है। दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई। उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी।

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ताइवान में चुनी हुई सरकार, अपना संविधान

1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए। उसी साल चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा। वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है। उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है।

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