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जवानों के सुसाइड रोकने शुरू की गई 100 दिन परिवार संग योजना

गृह मंत्रालय ने कहा- 5 साल में 730 जवानों ने की आत्महत्या

नई दिल्ली। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं। बीते कुछ समय में ये आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। गृह मंत्रालय ने राज्य सभा में यह जानकारी दी है। बीते 5 सालों में 730 जवानों ने आत्महत्या की है। लंबी ड्यूटी, सोने के लिए पर्याप्त समय न मिल पाना और परिवार के साथ कम से कम समय बिता पाना इसकी मुख्य वजह मानी गई है। इस कारण कई जवान अपनी नौकरी से त्याग पत्र भी दे रहे हैं या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले रहे हैं।

गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि बीते 5 सालों में करीब 55,000 जवानों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति या त्यागपत्र दिया है। वहीं आत्महत्या के पीछे मुख्य वजह निजी परेशानियां मानी गई हैं। इसबीच अर्धसैनिक बलों में आत्महत्या रोकने के लिए गृह मंत्रालय ने 100 दिन की छुट्टी पॉलिसी पेश की है। गृहमंत्रालय के अनुसार वह यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अधिक से अधिक कर्मियों को अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिले।

80% जवानों ने छुट्टी से लौटने के बाद किया सुसाइड

टास्क फोर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जवानों में आत्महत्या के कई निजी कारण भी सामने आए। बताया गया कि सुसाइड करने वाले करीब 80 फीसदी ऐसे लोग थे, जो घर से छुट्टी से लौटकर आए थे। जवानों में आत्महत्या की मुख्य वजह पति या पत्नी की मौत, परिवार के किसी सदस्य की मौत, वैवाहिक विवाद या तलाक, आर्थिक दिक्कतें, बच्चों के लिए शिक्षा के पर्याप्त अवसर न होना है।

42,797 से ज्यादा जवानों को दिया गया 100 दिन का अवकाश

केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि सुसाइड रोकने एक साल में 100 दिन के अवकाश की व्यवस्था की गई है। अब तक 42,797 ने सुविधा का लाभ भी लिया है। उन्होंने बताया कि केवल इसी साल अक्टूबर तक करीब 6,302 जवानों ने अपने परिवार के साथ 100 दिन बिताए हैं। 2023 में यह आंकड़ा 8,636 और 2021 में 7,864 था।

टास्क फोर्स ने दिए सुझाव

  • टास्क फोर्स से जवानों की आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है। इसके लिए कुछ सुझाव भी दिए गए हैं, जिसमें अधिकारियों द्वारा जवानों से लगातार बातचीत, नौकरी के घंटों को रेगुलेट कर उचित रेस्ट देना, रहन-सहन के स्तर को बेहतर बनाना शामिल है।
  • यह भी देखा गया है कि महिला जवानों में पुरुष जवानों के मुकाबले आत्महत्या के मामले कम हैं। माना गया है कि पुरुष उपहास किए जाने के डर से समस्या साझा करने में डरते हैं और इस कारण उनके अंदर आत्महत्या जैसे विचार पैदा होने लगते हैं।
  • टास्क फोर्स से छुट्टियों के लिए एक पारदर्शी व्यवस्था बनाने की अपील की है।
  • समय पर प्रमोशन न मिल पाने से भी जवानों का मनोबल गिरता है, इसलिए प्रमोशन पॉलिसी में सुधार किए जाने की जरूरत है।

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