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होम लोन घोटाले में 23 साल बाद आया फैसला, कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार सहित 10 को सजा

इंदौर। महू से कांग्रेस विधायक रहे अंतर सिंग दरबार की मुश्किलें बाढ़ सकती है। इंदौर प्रीमियम को-आपरेटिव बैंक में गृह ऋण घोटाले के मामले में जिला न्यायलय द्वारा अंतर सिंग दरबार सहित 10 आरोपियों को एक-एक वर्ष की सजा सुनाई है। दरबार पर कोर्ट ने तीन हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया।

कोर्ट ने 23 साल बाद सुनाई सजा

दरबार को 120बी के अपराध में एक वर्ष का कठोर कारवास की सजा सुनवाई है। वहीं धारा 13 (1) डी में 1 वर्ष का कारवास की सजा सुनाई है। दरबार पर 3 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है, जिसे नहीं भरने पर तीन तीन माह की सजा को बड़ा दिया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार, अंतर सिंह दरबार पर इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक में गृह ऋण घोटाला करने का आरोप था, जिसकी जांच के बाद सभी आरोपियों को दोषी करार दिया गया। बताया जा रहा है कि ऋण घोटाले का मामला साल 2000 का है। इसमें अंतर सिंह दरबार सहित सभी अन्य आरोपियों को 23 साल बाद सजा सुनाई गई है।

कोर्ट ने सुनाया फैसला।

कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

एमपी एमएलए कोर्ट ने इंदौर प्रीमियम को-आपरेटिव बैंक में हुए घोटाले के आरोप में कांग्रेस से निष्कासित पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार सहित 10 लोगों को एक-एक साल की सजा और अर्थदंड से दंडित किया है। मामला इस प्रकार है कि इंदौर प्रीमियम को-आपरेटिव बैंक के अध्यक्ष रहते हुए रामेश्वर पटेल ने अपने परिवार के ओम प्रकाश, जगदीश, निर्मला बाई एवं नकटी देवी को नियमों के विपरीत लोन दिया था। पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार, देवराज सिंह परिहार, अहिल्याबाई बासित अली, कर्मचारी गुलाम खान तथा देवीलाल शामिल थे। एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मुकेश नाथ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आरोपियों को एक-एक वर्ष के कारावास और जुर्माने से दंडित किया है।

दरबार ने पूर्व मंत्री उषा ठाकुर को हराया था

गौरतलब है कि अंतर सिंह दरबार विधानसभा चुनाव 2023 में महू सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, उन्हें पूर्व मंत्री उषा ठाकुर से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने अंतर सिंह दरबार की टिकट काट दी थी, जिसके बाद वो निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरे थे। 2005 के इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक में हुए घोटाले से जुड़ा एक मामला है। इस मामले में मंत्री रहे रामेश्वर पटेल, कन्हैयालाल डांगी, तत्कालीन उप पंजीयक सरकारी संस्थाएं आरडी चौरसिया जैसे 38 से ज्यादा लोग आरोपी बनाए गए थे।

(इनपुट – हेमंत नागले)

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