
देश की जनता को खुदरा महंगाई के बाद अब थोक महंगाई के मोर्चे पर भी करारा झटका लगा है। थोक महंगाई मार्च में लगातार 12वे महीने डबल डिजिट में बनी हुई है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित (WPI) महंगाई दर मार्च में 14.55% पर पहुंच गई, जबकि पिछले साल मार्च 2021 में यह 7.89 फीसदी थी। इससे पहले फरवरी महीने में 13.11% पर थी। केंद्र सरकार ने बढ़ती महंगाई के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध को जिम्मेदार ठहराया है।
आम आदमी को फिर लगा झटका
- खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर 8.47% से बढ़कर 8.71% हो गई है।
- मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट की WPI 9.84% से बढ़कर 10.71% हो गई है।
- प्राइमरी आर्टिकल WPI 13.39% से बढ़कर 15.54% हो गया।
- फ्यूल एंड पावर WPI 31.5% से बढ़कर 34.52% हो गया।
- अंडा, मीट, मछली WPI 8.14% से बढ़कर 9.42% के स्तर पर पहुंच गया।
- फलों की WPI 10.3% से बढ़कर 10.62% के स्तर पर पहुंच गई।
- दूध की WPI 1.87% से बढ़कर 2.9% हो गई।
- आलू की थोक महंगाई दर फरवरी के 14.78% से बढ़कर 24.62% पर रही है।
- मार्च में प्याज की महंगाई दर -26.37% से बढ़कर -9.33% पर आ गई है।
इनमें हुई कमी
- मंथली बेसिस पर सब्जियों की WPI 26.93% से घटकर 19.88% पर आ गई है।
- दालों की WPI 2.72% से घटकर 2.22% हो गई।
ईंधन के बढ़ते दामों का असर
अप्रैल 2021 से थोक महंगाई डबल डिजिट में बनी हुई है। एक्सपर्ट्स के अनुसार खाने-पीने की चीजों और ईंधन के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ रही है।
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खुदरा महंगाई का डेटा
पिछले सप्ताह जारी रिटेल इन्फ्लेशन भी मार्च में बढ़कर 6.95 फीसदी हो गई। यह लगातार तीसरा महीना है, कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) ने RBI की 6 फीसदी की टॉलरेंस लिमिट को पार किया है।
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