ग्वालियरमध्य प्रदेश

टाइगर स्टेट में फिर दस्तक देंगे चीते: वैलेंटाइन डे पर कूनो पहुंचेंगे 12 दक्षिण अफ्रीकी चीते, डील हुई पक्की

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में प्रोजेक्ट चीता के तहत दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाया जाएगा। अगले महीने 14 फरवरी 2023 यानि की वैलेंटाइन डे पर ये चीते कूनो आएंगे। समझौते पर पिछले सप्ताह हस्ताक्षर किया गया, जिसके मुताबिक सात नर और पांच मादा चीतों के कूनो पहुंचने की उम्मीद है। बता दें कि, दिसंबर 2022 में नामीबिया से 8 चीतों को कूनो लाया गया गया था।

14 फरवरी को कूनो लाए जाएंगे 12 चीता

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका से आने वाले सात नर और पांच मादा चीता विभिन्न आनुवंशिक पृष्ठभूमि से आते हैं। यह इनब्रीडिंग की संभावना को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि आनुवंशिक रूप से विविध आबादी स्थापित हो। दक्षिण अफ्रीका से चीतों को 13 फरवरी को ग्वालियर के लिए रवाना किया जाएगा और 14 को भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टरों से कूनो ले जाया जाएगा।

तीन महीने से क्वारेंटाइन है भारत आने वाले चीते

25 जनवरी को कूनो आने वाले चीतों से संबंधित एमओयू पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने हस्ताक्षर किए। चयनित किए गए 12 चीते करीब साढ़े तीन माह से वहां क्वारेंटाइन हैं। भारत में सफल पुन: प्रवेश के लिए सर्वोत्तम संभव चीतों का चयन किया गया है। सभी 12 दक्षिण अफ़्रीकी चीते शेर, तेंदुआ और लकड़बग्घा सहित प्रतिस्पर्धी शिकारियों के बीच बड़े हुए हैं।

 

हर साल 12 चीतों तो लाने की योजना

दक्षिण अफ्रीका ने भारत के साथ 100 से अधिक चीतों के ट्रांसफर करने को लेकर एक करार किया है। इसको लेकर डील भी पक्की हो गई है। पर्यावरण मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “अगले आठ से 10 वर्षों के लिए हर साल 12 चीतों को स्थानांतरित करने की योजना है ताकि व्यवहार्य और सुरक्षित चीता आबादी स्थापित करने में मदद मिल सके।

पीएम मोदी के जन्मदिन पर आए थे चीते

बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर यानि 17 सितंबर 2022 को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को बाड़े में छोड़ा। देश की धरती पर 70 साल बाद फिर चीते आए। भारत में 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित किया गया। इसके बाद भारत सरकार ने नामीबिया से 8 चीते लाए है। इनमें 5 मादा और 3 नर चीते शामिल हैं। चीतों को 4 महीने के क्वारेंटाइन पीरियड के दौरान छोटे बाड़े और बड़े बाड़े में रहकर कूनो के माहौल में डाला गया।

 

70 साल बाद भारत आए चीते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिवस पर मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को बाड़े में छोड़ा। देश की धरती पर 70 साल बाद फिर चीते आए। भारत में 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित किया गया। इसके बाद भारत सरकार नामीबिया से 8 चीते  (5 मादा व 3 नर) लाई।

जन्म के समय अंधे होते हैं चीतों के शावक

विशेषज्ञों के अनुसार जन्म के समय चीतों के बच्चे 240 से 425 ग्राम के होते हैं। देख नहीं सकते और लाचार होते हैं। एक-दो दिन बाद मां शिकार के लिए जाती है और तब वह बच्चों को छिपाकर जाती है। शावकों के लिए यह सबसे मुश्किल दौर होता है। मादा चीता शावकों की करीब डेढ़ साल तक देखभाल करती है। इसके बाद शावक अपनी मां का पीछा करना शुरू कर देते हैं। शुरुआती कुछ महीनों में मां चीता भी ज्यादा दूर तक या तेजी से शिकार नहीं कर सकती। इसी दौरान शावक लाइफ स्किल सीखते हैं।

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