भोपाल

कराची से लेकर इंग्लैंड के संग्रहालयों में रखीं शैव प्रतिमाओें की खूबियों से रूबरू हुए स्टूडेंट्स

राज्य संग्रहालय में शैव प्रतिमाओं की प्रदर्शनी का आयोजन 2 अगस्त तक

भगवान शिव और उनके अवतारों को मानने वालों को शैव कहते हैं। वेदों और पुराणों में शिव के विविध रूपों का वर्णन मिलता है, यह बात गुरुवार को प्रो. हंसा व्यास ने मप्र संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय द्वारा आयोजित भारत की शैव परंपरा व्याख्यान के दौरान कहीं। प्रो. हंसा ने कहा कि उज्जैन और मंदसौर में कई प्राचीन शिवलिंग मिले हैं। इसके अलावा भीमबेटका में सबसे अधिक प्राचीन शैल चित्रों में शैव परंपराओं के बारे में देखने को मिलता है। इस मौके पर ‘विश्व के संग्रहालयों में शैव प्रतिमाएं’ एग्जीबिशन का शुभारंभ भी किया गया। जिसमें दुर्लभ शैव प्रतिमाओं के 75 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। यह एग्जीबिशन 2 अगस्त तक सुबह 10.30 बजे से लेकर शाम 5.30 बजे तक देखी जा सकती है। एग्जीबिशन में दुर्लभ शैव प्रतिमाओं को शामिल किया गया है। यहां शिवपुत्र, कार्तिकेय, गौरी नंदन गणेश, भैरव व शिव की शक्ति के विविध रूप एवं नंदी शामिल है। इन्हें देखने के लिए कॉलेज स्टूडेंट्स पहुंचे।

लकुलीश बने आकर्षण का केंद्र

एग्जीबिशन में पाकिस्तान के कराची के म्यूजियम में लगी हड़प्पाकालीन शिव पशुपति मृणमुद्रा, इंग्लैंड के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में लगे अर्द्धनारीश्वर के छायाचित्र प्रस्तुत किए गए हैं। इंग्लैंड के अशमोलियन म्यूजियम में 5वीं शती ई. की कार्तिकेय प्रतिमा, ब्रिटिश म्यूजियम में 7वीं शती ई. लकुलीश, अमेरिका के एशियन कला संग्रहालय में रखी प्रतिमा देखी जा सकती है।

पाषाण और कांस्य प्रतिमाओं के लगाए चित्र

पाषाण और कांस्य प्रतिमाओं के लगभग 75 छायाचित्रों के अंतर्गत शिव प्रतिमाओं में मुख्यत रूस के हर्मिटेज संग्रहालय के 5- 6 वीं सदी के नृत्यरत शिव, अमेरिका के डेनवर कला संग्रहालय के 6 वीं सदी के शिव के अलावा शिव की अन्य प्रतिमाओं में अमेरिका के क्लेवलैंड कला संग्रहालय के सदाशिव एवं गजासुर वध की प्रतिमाएं देखीं जा सकती हैं। अबू धाबी के लूब्र संग्रहालय के नटराज, अमेरिका के फिलाडेल्फिया संग्रहालय के भैरव की प्रतिमाओं के चित्र लगाए गए हैं।

अपने विषय के बारे में जाना

एग्जीबिशन में सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर कई प्राचीन प्रतिमाओं के चित्र देखने को मिले, चूंकि हमारा विषय इतिहास है, इसलिए शैव परंपराओं के बारे में जानकर अच्छा लगा। -भूमिका कुशवाहा, स्टूडेंट

विदेश के संग्रहालयों में हमारी प्रतिमाएं

यहां हमें कई प्राचीन प्रतिमाओं के चित्रों को देखने का मौका मिला। इसके अलावा व्याख्यान में प्रो. हंसा व्यास ने हमें शैव परंपरा के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी। दुनिया के अलग-अलग देशों में भारतीय प्रतिमाएं संरक्षित की गईं हैं यह जानना रोचक था। -विशाखा ठाकुर, स्टूडेंट

भगवान शिव के कई स्वरूपों को देखा

जिन चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है, वह बेहद अद्भुत है। इससे पता चलता है कि पहले भगवान शिव को लोग किस तरह पूजते थे। उनके प्रतिमाएं किस रूप में बनाई जाती थी, यह सभी कुछ यहां देखने को मिला। -हर्ष पावक, स्टूडेंट

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