भोपालमध्य प्रदेश

बंगले में लौटीं उमाभारती, नशाबंदी को लेकर आश्रम में रहने के संकल्प से तीन दिन का ब्रेक

भोपाल। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने नशाबंदी को लेकर आश्रम में रहने के संकल्प से तीन दिन का ब्रेक लिया है। उन्होंने सिलसिलेवार कई ट्वीट में इसकी जानकारी दी है। उमा ने लिखा – जब 8 तारीख पूर्णिमा को भोपाल छोड़ा तो जैसा सोचा था, उस आवास व्यवस्था में कुछ संशोधन करना पड़ा। क्योंकि मेरी देखरेख में लगी पुलिस और प्रशासन को मेरी वजह से बहुत असुविधा होने लगी थी इसलिए यह संशोधन किया है। इसी को देखते हुए 3 दिन में चेकअप हो जाने के बाद पुनः भ्रमण पर निकलूंगी। मैं आपको बताती रहूंगी कि मैं कहां हूं। दरअसल, स्वास्थ्य संबंधी चेकअप के लिए 63 वर्षीय उमा भारती आश्रम से बंगले में लौटी हैं।

17 जनवरी के बाद आर या पार की लड़ाई

उमा ने एक ट्वीट में लिखा- अभी तक के भ्रमण से यह बात साफ हो गई है कि पूरे प्रदेश की जनता को शराब के खिलाफ करने के लिए किसी आंदोलन या अभियान की जरूरत नहीं है। पूरे प्रदेश के लोग शराब के खिलाफ हैं। अब तो शराब पर हमारे सरकार की नई संशोधित शराब नीति, जो कि जनवरी में घोषित होकर अप्रैल से लागू हो जाएगी, उसी नीति की प्रतीक्षा है। मैं आशान्वित भी हूं, आशंकित भी हूं और जैसा कि पहले से ही तय है कि 17 जनवरी के बाद आर या पार की लड़ाई भी हो सकती है।

गांधी जयंती पर दुकानें बंद कराईं, वह फिर खुल गईं

उमा ने लिखा -2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर शिवराज जी के साथ भोपाल में नशा विरोधी जो सरकारी कार्यक्रम हुआ, उसके बाद जब मैंने बहुत ही अनैतिक कुछ दुकानों को बंद कराने की चेष्टा की। इसके बाद थोड़े समय के लिए दुकानें बंद हुईं, लेकिन ये फिर से खुल गईं, क्योंकि उन्हें कोर्ट से स्टे मिल गया। मुझे पता लगा कि शिवराज जी ने भी इन दुकानों को बंद करने के लिए निर्देश दिए थे फिर भी दुकानें सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाते धड़ल्ले से चल रही हैं।

क्या नई नीति लागू हो पाएगी

उमा ने कहा- अब मैं आशंकित हूं कि हम सबसे परामर्श के बाद जो नई शराब नीति बनेगी, क्या वह लागू हो पाएगी? यह गहन चिंता का विषय है। प्रभावी कौन है? सरकार, जनता का हित या शराब माफिया। इस सवाल का उत्तर शायद जल्दी ही आप सब मुझे बता देंगे। उन्होंने 8 नवंबर से अपने सारे कार्यक्रमों की जानकारी दी। बताया कि 8 नवंबर को भोपाल छोड़ा। सलकनपुर, नागपुर, रामटेक, धुआंधार (भेड़ाघाट) होते हुए 13 नवंबर को अमरकंटक पहुंची। 16 नवंबर को मेरे संन्यास दीक्षा के तीसवें वर्ष का अमरकंटक में कल्याण आश्रम द्वारा भंडारा हुआ।

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