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तकनीकी उन्नति के साथ बढ़ा ‘साइलेंट फायरिंग’ का चलन, कंपनियों में बढ़ती छंटनी से संकट में Techie

नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी के तेजी से बढ़ते प्रभाव के बीच ‘साइलेंट फायरिंग’ का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है। इसमें कंपनियां अप्रत्यक्ष रूप से कर्मचारियों को उनकी भूमिकाएं छोड़ने के लिए मजबूर करती हैं। जीनियस कंसल्टेंट्स की एक ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 10 प्रतिशत नियोक्ता अनावश्यक पदों के लिए छंटनी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

क्या होती है साइलेंट फायरिंग

साइलेंट फायरिंग वह प्रक्रिया है जिसमें कंपनियां कर्मचारियों को सीधे निकालने के बजाय, अप्रत्यक्ष दबाव बनाती हैं ताकि वे स्वयं इस्तीफा दे दें। इसमें कर्मचारियों को उनकी क्षमताओं से अधिक काम सौंपना, संसाधनों की कमी या उनकी भूमिका को अप्रासंगिक बना देना शामिल है।

तकनीकी बदलाव के कारण बढ़ी समस्या

रिपोर्ट के अनुसार, साइलेंट फायरिंग की समस्या तकनीकी उन्नति के साथ बढ़ रही है। नियोक्ता अब अपने कार्यस्थल को आधुनिक तकनीक के अनुसार ढालने के लिए रणनीतियां अपना रहे हैं, जिसमें अनावश्यक पदों को हटाना और कर्मचारियों का कौशल बढ़ाना शामिल है।

रिपोर्ट में हुए बड़े खुलासे

जीनियस कंसल्टेंट्स ने 1,223 नियोक्ताओं और 1,069 कर्मचारियों के बीच सर्वेक्षण किया। इसमें पाया गया कि 79% नियोक्ता मौजूदा कर्मचारियों के कौशल बढ़ाने को प्राथमिकता देते हैं। वहीं, 10% नियोक्ता अनावश्यक पदों के लिए छंटनी को प्राथमिकता देते हैं और 6% नियोक्ता कम प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को अत्यधिक कार्यभार सौंपते हैं ताकि वे खुद इस्तीफा दे दें।

कर्मचारियों पर पड़ता प्रभाव

इस रणनीति का कर्मचारियों पर गहरा असर हो रहा है। कई कर्मचारी मानसिक तनाव और असुरक्षा की भावना से जूझ रहे हैं। एक कर्मचारी ने बताया, “हमारे पास नई तकनीक को सीखने का पर्याप्त समय और संसाधन नहीं होते और जब प्रदर्शन खराब होता है, तो हमें दबाव में इस्तीफा देना पड़ता है।”

वहीं, कुछ नियोक्ताओं का कहना है कि तकनीकी बदलाव के साथ तालमेल बैठाना बेहद जरूरी है। एक कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा, “हम प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपने कर्मचारियों का कौशल बढ़ा रहे हैं। लेकिन कभी-कभी अनावश्यक पदों को हटाना भी जरूरी हो जाता है।”

कर्मचारियों के लिए सलाह

विशेषज्ञों का कहना है कि कर्मचारियों को नई तकनीकों और स्किल्स को सीखने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, उन्हें अपने अधिकारों और कंपनी की नीतियों को समझना चाहिए ताकि वे अपनी नौकरी सुरक्षित रख सकें।

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