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रेवेन्यू के 1 केस पर सरकार ने खर्च किए 4 लाख 14 हजार रुपए

राजस्व मंडल : 2018 में निपटे थे 6 हजार मामले, अब सिर्फ 194

पुष्पेंद्र सिंह, भोपाल। प्रदेशभर के राजस्व मामलों का निराकरण करने के लिए करीब 64 साल पहले ग्वालियर में शुरू हुआ राजस्व मंडल अब पीड़ितों की पहुंच से दूर जा रहा है। यहां कभी साल में अधिकतम 6 हजार से अधिक मामले निपटे जो अब घटकर 194 हो गए हैं। वर्ष 2022-23 में राजस्व मंडल को 8 करोड़ 7 लाख से अधिक बजट मंजूर हुआ था। इस साल 9 करोड़ से अधिक मिलेंगे। पिछले साल के बजट के मान से एक केस में सरकार ने 4.14 लाख रुपए खर्च किए।

राजस्व मंडल में मुख्य तौर पर किसानों की जमीन संबंधी विवादों जैसे नामांतरण, बंटवारा और नक्शा तरमीन के मामले दर्ज होते हैं। पिछले तीन साल पहले हर दिन औसतन 15 मामले आते थे लेकिन अब यह संख्या घटकर दो से तीन हो गई है। वर्ष 2022 के आंकड़े बता रहे कि राजस्व मंडल में 9 हजार से अधिक मामले निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। जो मामले निबट रहे वे आपसी राजीनामा या फिर केस वापस लेने वाले हैं।

इसलिए घट रहे हैं मामले

मंडल में पहले माह में चार-पांच दिन एक सदस्यीय बेंच बैठती थी। अब बैंच को दो सदस्यीय कर दिया गया है। वर्तमान में चेयरमेन और एक आईएएस सहित रिटायर्ड न्यायाधीश सदस्य के तौर पर हैं। इनके रहते माह में तीन-चार दिन ही बैंच बैठ रही है। इससे औसतन दो दिन में एक प्रकरण में निर्णय हो रहा है।

नियमों में संशोधन से बिगड़ा गणित

2018 में राज्य शासन ने मप्र भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2018 लागू किया। इसमें निर्णय लिया गया कि अगर जिले में एसडीएम से लेकर कमिश्नर तक अंतिम दो निर्णय एक समान होंगे तो राजस्व मंडल में अपील नहीं की जा सकेगी। धारा 41 विलोपित की गई है, इस धारा के तहत राजस्व प्राधिकारियों की प्रक्रिया एवं कार्य प्रणाली के नियम आदि राजस्व मंडल द्वारा हटा दिए गए हैं। ऐसे में राजस्व अधिकारी मनमानी करेंगे। संभागों में बेंच नहीं पहुंच पाती : बताया गया कि राजस्व मंडल के दस संभागों में अलग से कोर्ट लगती है। इन कोर्ट में राजस्व मंडल के अधिकारी बैठते हैं। लेकिन, मंडल में ही अधिकारियों की कमी होने से पेंडेंसी बढ़ती जा रही है।

खर्चों में कोई कमी नहीं

राजस्व मंडल के खर्चों में कमी नहीं आई है। कार्यालय का बिजली बिल करीब दो लाख रुपए आता है। लगभग 70 कर्मचारियों का चार लाख रुपए वेतन खर्च है। आठ अधिकारियों का लगभग 11 लाख रुपए होते हैं। चेयरमेन के बंगला और अन्य खर्च अलग हैं। इस तरह हर माह औसतन 20 लाख रुपए के करीब खर्च हो रहा है। इस संबंध में चेयरमेन अश्वनी राय से संपर्क किया गया लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके।

राज्यपाल और केंद्रीय मंत्रियों से लगाई गुहार

राजस्व मंडल को बचाने की गुहार लगाई है। राज्यपाल को ज्ञापन दिया है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया को तथ्यात्मक जानकारी दी है। ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई है। सरकार को रिवीजन नहीं लगाने संबंधी नियम को बदलना चाहिए। आरडी शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता, ग्वालियर

तेरह सालों में दायर राजस्व प्रकरण और निराकरण

वर्ष दायर केस निर्णय संख्या शेष प्रकरण
2018 6,554 6,185 13,596
2019 1,264 4,981 9,879
2020 0547 1,193 9,233
2021 0542 0890 8,885
2022 0551 0194 9,242

                                                              स्त्रोत : राजस्व मंडल ग्वालियर

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