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मोदी सरकार का अंतरिम बजट वोटरों को ध्यान में रखकर तैयार होगा, खर्च पूरे करने वाला नहीं

बढ़ सकता है टैक्स स्लैब, स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा में भी बढ़ोतरी संभव

मनीष दीक्षित। भले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि फरवरी 2024 में पेश होने वाला अंतरिम बजट सिर्फ सरकार के अनिवार्य खर्चों को पूरा करने के लिए पेश किया जाएगा, लेकिन मोदी सरकार का अंतरिम बजट लोक-लुभावन होगा। इसमें शक की गुजाइश नहीं दिख रही है। दरअसल, चुनावी साल का बजट वोटरों को लुभाने का दस्तावेज बन जाने की कमोबेश परंपरा रही है। 2019 के चुनाव से पहले भी अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने बड़ी घोषणाएं की थीं। इसलिए उम्मीद है कि चुनावी साल होने के कारण सरकार अपने वोट बैंक को साधने के लिए आम बजट में उन्हें खुश करने का ऐलान कर सकती है। नौकरीपेशा से लेकर, महिलाएं, किसान, टैक्सपेयर्स और युवा तक सरकार से राहत की आस लगाए बैठे हैं।

2019 के अंतरिम बजट में क्या था?

पिछले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था। इसमें सरकार ने देश के 12 करोड़ किसानों को हर साल 6 हजार रुपए किसान सम्मान निधि देने का बड़ा ऐलान किया था। इस योजना ने एक बड़े वर्ग को प्रभावित किया था। ग्रेच्युटी भुगतान की अधिकतम सीमा को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए किया गया था। इनकम टैक्स के ढांचे में भले ही कोई बदलाव नहीं किया गया हो, लेकिन कुछ ऐसे ऐलान जरूर किए गए थे, जिससे टैक्स पेयर्स को लाभ होता है।

जानें, किस वर्ग को राहत की क्या और क्यों उम्मीद है…

टैक्स स्लैब: यह वर्ग लंबे समय से इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाने की मांग कर रहा है। उम्मीद है कि सरकार इनकम टैक्स की छूट सीमा बढ़ा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, अंतरिम बजट में टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपए हो सकती है।

टैक्स लिमिट: सीनियर सिटीजन्स और 80 वर्ष से अधिक उम्र के सुपर सीनियर सिटीजन के लिए टैक्स लिमिट भी बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा धारा-80 सी के तहत अधिकतम डिडक्शन को भी बढ़ाया जा सकता है।

छूट बढ़ाने की वजह: टैक्स स्लैब में अंतिम बार बदलाव 10 साल पहले मोदी सरकार ने ही किया था। अपने पहले बजट में मोदी सरकार ने टैक्स छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए की थी। तब धारा-80 सी के तहत अधिकतम डिडक्शन की सीमा में भी बदलाव किया गया था। इसके अलावा आयकर की न्यू टैक्स रिजीम में भी करदाता कुछ बदलाव और राहत की उम्मीद कर रहे हैं।

स्टैंडर्ड डिडक्शन: नौकरीपेशा टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 से बढ़ाकर कम से कम 75,000 से एक लाख रुपए तक कर दे। वहीं, सीनियर सिटीजन्स के लिए भी यह लिमिट बढ़ाई जा सकती है।

किसे फायदा: इससे वेतनभोगी वर्ग की टैक्सेबल इनकम घट जाएगी। इससे उसकी टैक्स लायबिलिटी भी कम हो जाती है। स्टैंडर्ड डिडक्शन के जरिए वेतनभोगी कर्मचारी और पेंशनर्स को टैक्स में छूट लेने की सुविधा मिलती है।

हेल्थ इंश्योरेंस: मेडिकल इंश्योरेंस लेने वालों को उम्मीद है कि सेक्शन-80डी के तहत इंडिविजुअल के लिए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम में डिडक्शन लिमिट 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपए की जाए।

किसे फायदा: ऐसा होने से ज्यादा लोग हेल्थ इंश्योरेंस की तरफ आकर्षित होंगे। इससे हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों के साथ ही इस सेक्टर को भी फायदा मिलेगा।

होम लोन: आयकर अधिनियम की धारा-24 के तहत होम लोन की ब्याज दरों पर 2 लाख की टैक्स छूट को बढ़ाकर 3 लाख तक किया जा सकता है, क्योंकि घरों की कीमतों में इजाफा हुआ है।

किसे फायदा: ऐसा करने से रेसीडेंशियल सेक्टर के लिए बाजार को और बढ़ावा मिल सकता है। खासकर, बजट होम सेगमेंट में, जिसकी मांग में महामारी के बाद से गिरावट देखी गई है।

रेल यात्रा: सीनियर सिटीजन्स को उम्मीद है कि कोविड से पहले उन्हें रेलवे में जिस तरह की छूट मिलती थी, उसे दोबारा शुरू किया जाए। दरअसल, कोरोना से पहले देश के वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन टिकट पर 40 से 50 फीसदी तक की छूट मिलती थी।

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