
इंदौर। तमिलनाडु के त्रिची स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में इंदौर की ओजस्वी गुप्ता पोस्ट ग्रेजुएशन करने गई है, जो पीजी फर्स्ट ईयर की छात्रा है। ओजस्वी 15 सितंबर से लापता है। ओजस्वी ने कॉलेज के कैंपस से जाने से पहले एक चार पन्नों का पत्र लिखा, जिसमें उसने अपने माता-पिता और भाई से माफी मांगी है।
पत्र में उसने लिखा कि उसे क्लास के कुछ लड़कों द्वारा मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा था, जो उसके क्लास रिप्रेजेंटेटिव बनने के बाद से बढ़ गया था। अब उसकी तलाश में उसके परिजन दर-दर भटकने को मजबूर हैं। परिवार ने इंदौर एयरपोर्ट पर सीएम डॉ.मोहन यादव को भी एक ज्ञापन दिया है। वहीं आज पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता से मिलने पहुंचे परिजनों ने लड़कों पर आरोप लगाया है।
पत्र में लिखा, किसी को इतना परेशान न करें कि….
पत्र में ओजस्वी ने लिखा, “आपने मुझे अच्छी शिक्षा दी, लेकिन मुझे मानसिक रूप से मजबूत बनाने में असफल रहे।” उसने यह भी सलाह दी कि किसी को इतना परेशान न करें कि वे खुद को नुकसान पहुंचाएं। ओजस्वी ने लड़कियों के लिए लिखा कि “यह जमाना लड़कियों के लिए ठीक नहीं है।” सब अच्छे से पढ़ाई करना और अच्छा पैकेज लेकर जाना। जिसको सीआर बनाना है बना दो यार…. अंत में, उसने अपने दोस्तों से कहा, “बाय बाय, लव यू एनआईटी।”
पुलिस कमिश्नर से मिले परिजन
परिजनों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद इंदौर के पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता से भी संपर्क किया। उन्होंने ओजस्वी के साथ पढ़ने वाले छात्र पर आरोप लगाया कि वे उसे प्रताड़ित कर रहे थे। पुलिस कमिश्नर ने आश्वासन दिया कि त्रिचि के डीआईजी और ग्रामीण एसपी से बात की जाएगी और लापता युवती की तलाश में इंदौर पुलिस की मदद की आवश्यकता होने पर सहयोग किया जाएगा।
पुलिस के अनुसार, तमिलनाडु के त्रिची से 15 सितंबर से लापता हुई ओजस्वी गुप्ता का अब तक कोई पता नहीं चल सका है, और त्रिची पुलिस उसकी खोज में जुटी है। ओजस्वी की लापता होने की घटना ने समाज में चिंता पैदा कर दी है। क्लास के 90 छात्रों में से ओजस्वी को क्लास का प्रतिनिधि बनाया गया था।
डिप्रेशन में चली गई थी ओजस्वी
इंदौर शहर की निवासी ओजस्वी गुप्ता तमिलनाडु के त्रिची स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में पीजी फर्स्ट ईयर की छात्रा है। देशभर में 72वां रैंक हासिल कर एनआईटी त्रिची में एडमिशन लिया। यहां उसकी काबिलियत को देखकर उसे क्लास रिप्रेजेंटेटिव बना दिया गया, लेकिन यह बात कुछ लोगो को नागवार गुजरी। इसके बाद से ही साथ में पढ़ने वाले लड़कों के द्वारा परेशान किया जा रहा था, जिससे वह डिप्रेशन में चली गई थी और परिजनों से बात नहीं कर रही थी।
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