
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और चीफ जस्टिस के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित किया। इस कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, केंद्रीय कानून मंत्री और सभी 25 हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी मौजूद थे। दिल्ली के विज्ञान भवन में हुए कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि, डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। न्याय की देरी कम करने की कोशिश की जा रही हैं. बुनियादी सुविधाओं को पूरा किया जा रहा है।
अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए
मोदी ने कहा कि बड़ी आबादी न्यायिक प्रक्रिया और फैसलों को नहीं समझ पाती, इसलिए न्याय जनता से जुड़ा होना चाहिए। जनता की भाषा में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि साझा सम्मेलन से नए विचार आते हैं। कार्यपालिका और न्यायपालिका मिलकर देश के नए सपनों के भविष्य को गढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा।
पीएम मोदी ने बताया कि जिला अदालत से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खाली पदों को भरने का काम तेजी से आगे बढ़ा है। हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए। इससे देश के आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा।
लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए: सीजेआई
कार्यक्रम में CJI एनवी रमना ने कहा कि हमें ‘लक्ष्मण रेखा’ का ध्यान रखना चाहिए, अगर यह कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी। अपने कर्तव्यों का पालन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का भी ध्यान रखना चाहिए। सरकारें अदालत के फैसले को बार- बार नजरअंदाज करती हैं, यह हेल्दी डेमोक्रेसी के लिए ठीक नहीं है।
ई-कोर्ट परियोजना मिशन मोड में लागू
मोदी ने कहा कि भारत सरकार न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी को डिजिटल इंडिया मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा मानती है। ई-कोर्ट परियोजना आज मिशन मोड में लागू की जा रही है। हम न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हम न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए भी काम कर रहे हैं।
2047 में हम कैसी न्यायिक व्यवस्था चाहते हैं?
पीएम मोदी बोले- 2047 में जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएं कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।
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