
एंटरटेनमेंट डेस्क। नवंबर के पहले शुक्रवार याने 3 नवंबर को भारत भर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म ‘रोमांटिक टुकड़े’ एक ऐसे विषय पर आधारित कहानी है, जिसपर फिल्म बनाना अपने आप में काबिले तारीफ काम है। फिल्म को रिलीज के पहले ही कई सारे अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले और रिलीज के बाद दर्शकों ने भी इसे सराहा और भरपूर प्यार दिया। इससे फिल्म की पूरी टीम और लेखक शहजाद अहमद खासे उत्साहित हैं। बता दें, ‘रोमांटिक टुकड़े’ की कहानी शहजाद अहमद ने फिल्म के निर्देशक वरदराज स्वामी के साथ मिलकर लिखी है। साथ ही पटकथा का पूरा काम शहजाद ने किया है। शहजाद अहमद इससे पहले ‘ मांझी द माउंटेन मैन, कबाड़ – द कॉइन’ जैसी फिल्म लिख चुके हैं। उनकी इन दोनों फिल्मों को दर्शकों और समीक्षकों का भरपूर प्यार मिला था। अब यह फिल्म शहजाद के एक बार फिर से कुछ नया करने की कोशिश का नतीजा कही जा सकती है। फिल्म के संबंध में शहजाद ने शेयर किए अपने अनुभव…
सिनेमा हॉल की यात्रा
‘रोमांटिक टुकड़े’ सिनेमा के उस सुनहरे दौर को दिखाती है, जब लोगों के लिए सिनेमा देखना एक सामूहिक और पारिवारिक अनुभव हुआ करता था, और लोग बड़ी तादाद में सिनेमा देखने के लिए सिनेमाघरों का रुख किया करते थे। यहां तक कि ब्लैक में टिकिट लेकर भी फिल्म देखना नहीं चुकते थे। इस सुनहरे दौर को हमने फिल्म में दिखाया है। इसके बाद समय के साथ कुछ ऐसा क्या हो गया कि आज देश में हर दिन सिनेमा हॉल बंद हो रहे है? यह प्रश्न भी फिल्म में नजर आता है। यूं कहें कि हमने सिनेमा हॉल की इस यात्रा को बहुत ही मार्मिक ढंग से और जस्टिफाई करके दिखाने की कोशिश की है।
नए एक्सपेरिमेंट से डरते हैं
हिंदी सिनेमा का एक बहुत पुराना चलन है कि यहां फिल्ममेकर्स एक घिसी-पिटी कहानी और फॉर्मूला पर आधारित फिल्में बनाना पसंद करते हैं। सब कुछ पहले से ही तय होता है कि फिल्म में कहां पर गाने होंगे, कहां पर कॉमेडी होगी, हीरो-हीरोइन विलेन किस तरह की हरकतें करेंगे और अंत में क्लाइमेक्स क्या होगा। बड़े से बड़े फिल्ममेकर्स बस इसी ढर्रे पर एक लम्बे अर्से से फिल्में बनाते चले आ रहे हैं। दरअसल, फिल्मकार और लेखक भी कुछ नया एक्सपेरिमेंट करने से डरते हैं। यही वजह है कि हिंदी फिल्मों में हमें कुछ नया देखने को नहीं मिलता है, मगर ‘रोमांटिक टुकड़े’ कई मायनों में अलग इसलिए है कि इसे देखकर आपको महसूस होगा कि सिनेमा इतना यथार्थवादी और मनोरंजक भी हो सकता है। मेरा दावा है कि आप सभी को एक ऐसा फिल्म देखने को मिलेगी, जिसकी इससे पहले कभी अनुभूति नहीं की होगी।
मजबूत टीम
हमारी फिल्म की पूरी टीम बड़ी सशक्त है। पंकज बेरी, अमिया अमित कश्यप, धामा वर्मा, विवेकानंद झा जैसे सशक्त कलाकार अहम भूमिकाओं में हैं। विजय और प्रिया बंसल की इस फिल्म का निर्देशन वरदराज स्वामी ने किया है। अन्य टीम में एडिटिंग पर बालाजी, सिनेमेटोग्राफर सिन्धु कुमार, म्यूजिक डायरेक्टर तुतुल भट्टाचार्य शामिल हैं। गीत, पीयूष मिश्रा और केतन मेहता ने लिखे हैं। ओवरऑल हमारी कोशिश थी कुछ अलग करने की और खुशी है कि हमारी कोशिश सफल रही है।
(इनपुट – पल्लवी वाघेला)
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