
नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले में पतंजलि आयुर्वेद ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर माफी मांगी है। पतंजलि आयुर्वेद और उसके MD आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से गुमराह करने वाले भ्रामक दवा विज्ञापन देने के लिए बिना शर्त माफी मांगी है। इसके साथ ही माफीनामे में विज्ञापन को फिर से प्रसारित न करने का वादा भी किया गया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में नोटिस का जवाब नहीं देने पर आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। इसके अलावा बाबा रामदेव को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर 2 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा था।
हलफनामे में जताया खेद
कंपनी के एमडी बालकृष्ण ने हलफनामे में कहा है कि, नवंबर 2023 के बाद जारी किए गए विज्ञापनों का उद्देश्य केवल ‘सामान्य बयान’ था, लेकिन उनमें गलती से ‘अपमानजनक वाक्य’ शामिल हो गए। इन विज्ञापनों को पतंजलि के मीडिया विभाग ने मंजूरी दी थी, जो नवंबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अनजान था।
भ्रामक विज्ञापनों पर खेद जताते हुए स्पष्ट किया कि, कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे विज्ञापन भविष्य में जारी ना हों। साथ ही कंपनी ने बताया कि, इसका इरादा पूरी तरह से देश के नागरिकों को पतंजलि उत्पादों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
Patanjali Ayurved Managing Director Acharya Balkrishna submits unqualified apology over alleged misleading advertisements
Acharya Balkrishna, in an affidavit to Supreme Court, says that he will ensure that such advertisements are not issued in the future and submits that its… pic.twitter.com/jgyl0EsNA9
— ANI (@ANI) March 21, 2024
2 अप्रैल को पेश होने का दिया था आदेश
कोर्ट ने 19 मार्च को हुई सुनवाई में नोटिस जारी कर ये भी पूछा था कि उनके खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। इस मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच कर रहे हैं। कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापन मामले में स्वामी रामदेव (पतंजलि के को-फाउंडर) और पतंजलि के MD आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने को कहा है। कंपनी और आचार्य बालकृष्ण द्वारा नोटिस का जवाब दाखिल नहीं करने की वजह से यह आदेश जारी किया गया था।
27 फरवरी की सुनवाई में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापनों पर रोक लगाई थी। इसके अलावा अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
निगेटिव प्रमोशन के साथ किया झूठा दावा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी की IMA की ओर से 17 अगस्त 2022 को एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया, पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रमोशन तो किया ही लेकिन खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से बीमारियों के इलाज का झूठा दावा भी किया। अब इस मामले में कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव अगली सुनवाई में हाजिर हो। इसी के साथ पतंजलि आयुर्वेद कंपनी और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस जारी किया।
कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं रुके पतंजलि के विज्ञापन
इस मामले को लेकर दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में भी सुनवाई हुई। सबूत के रूप में प्रिंट मीडिया में जारी किए गए विज्ञापनों को कोर्ट में पेश किया गया और बताया गया कि विज्ञापन अभी भी जारी हैं। फिर 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के CEO बालकृष्ण के साथ रामदेव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें उन्होंने पतंजलि के विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया।
हर प्रोडक्ट पर लग सकता है 1 करोड़ का जुर्माना
21 नवंबर 2023 को सुनवाई में जस्टिस अमानतुल्लाह ने कहा था- पतंजलि को सभी गुमराह वाले विज्ञापनों को बंद करना होगा। ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
पहले भी मिल चुके हैं नोटिस
- बता दें कि, 2015 में कंपनी ने आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। जिससे पतंजलि को फूड सेफ्टी के नियम तोड़ने के लिए लीगल नोटिस भेजा गया था।
- 2015 में कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट यानी CSD ने पतंजलि के आंवला जूस को पीने के लिए अनफिट बताया था। इसके बाद 2015 में ही हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस और अशुद्धियां मिलने की शिकायत दर्ज कराई थी।
- 2018 में भी FSSAI ने पतंजलि को मेडिसिनल प्रोडक्ट गिलोय घनवटी पर फटकार लगाई थी। इसमें उन्होंने एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिख दी थी।
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