
कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में रविवार को अभूतपूर्व दूसरे दौर की मतगणना के बाद निर्वाचन आयोग ने मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को विजेता घोषित किया। मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी (JVP) के विस्तृत मोर्चे नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के उम्मीदवार 56 वर्षीय अनुरा कुमारा दिसानायके ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समागी जन बालवेगया (एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा को हराया है।
सोमवार को लेंगे राष्ट्रपति पद की शपथ
निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे अधिकतम मत पाने वाले टॉप सेकंड में शामिल होने में विफल रहने के बाद पहले दौर में ही बाहर हो गए। एनपीपी ने बताया कि दिसानायके सोमवार (23 सितंबर) को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। दिसानायके देश के नौंवें राष्ट्रपति होंगे।
श्रीलंका के इतिहास में पहली बार प्रेसिडेंट इलेक्शन में दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती से नतीजा तय हुआ। श्रीलंका में कभी भी कोई चुनाव मतगणना के दूसरे दौर तक नहीं पहुंचा है, क्योंकि प्रथम वरीयता मतों के आधार पर हमेशा कोई उम्मीदवार विजेता बनता रहा है। चुनाव में किसी भी कैंडिडेट को 50 फीसीद से ज्यादा वोट हासिल नहीं हुई थी। इसलिए नतीजा तय करने के लिए इलेक्शन तमीशन ने दूसरे प्रेफरेंस के जरिए वोटों की गिनती की।
तीसरे नंबर पर रहे रनिल विक्रमसिंघे
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के इस चुनाव में कुल 39 कैंडिडेट्स मैदान में रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, पहले राउंड वामपंथी अनुरा दिसानायके को तकरीबन 42.3% और सजिथ प्रेमदासा को 32.8%, रनिल विक्रमसिंघे को 17.3% वोट मिले। हालांकि, इससे पहले सभी कैंडिडेट्स के मतपत्रों की रिव्यू की कराई गई ताकि यह तय किया जा सके कि दो टॉप कैंडिडेट्स के लिए दूसरी या तीसरी वरीयता के वोट डाले गए थे या नहीं।
अनुरा कुमारा का उदय
अनुरा कुमारा दिसानायके जनता विमुक्ति पेरेमुना (JVP) पार्टी के नेता हैं। यह नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन का हिस्सा है। उनकी पार्टी की संसद में मात्र तीन सीटें हैं, फिर भी उन्होंने जनता के सामने एक सशक्त नेता के रूप में खुद को स्थापित किया है। 55 वर्षीय दिसानायके की पहचान एक स्पष्टवादी नेता और जोशीले वक्ता के रूप में होती है। अनुरा कुमारा गठबंधन के उम्मीदवार भी हैं।
दिसानायके की पार्टी बेहतर और विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए सशक्त राज्य हस्तक्षेप, कम टैक्स और अधिक बंद बाजार जैसे आर्थिक नीतियों और विचारों की समर्थक है। भ्रष्टाचार विरोधी कड़े कदम उठाने और संसद को 45 दिनों के भीतर भंग करने का वादा कर उन्होंने जनता का समर्थन प्राप्त किया। दिसानायके के भाषणों में जनता की समस्याओं के प्रति गहरी संवेदनशीलता दिखाई दी। यही कारण है कि उन्हें देश के आम नागरिकों के बीच व्यापक समर्थन मिला।
श्रीलंका की मौजूदा स्थिति और चुनाव का महत्व
श्रीलंका पिछले कुछ वर्षों से गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वर्ष 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट के कारण श्रीलंका को अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ा, जिसमें आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हुई। महंगाई, ईंधन और दवाओं की कमी से परेशान जनता ने तब तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ विद्रोह किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
भारत के लिए संभावित प्रभाव
दिसानायके की जीत भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर सकती है। उनकी मार्क्सवादी विचारधारा और भारत विरोधी रुख दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने चुनाव के दौरान भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के प्रोजेक्ट्स ‘विंड एनर्जी प्रोजेक्ट’ का विरोध किया था। उन्होंने इसे श्रीलंका की संप्रभुता के लिए खतरा बताया था और इसे रद्द करने का वादा किया है। इसके अलावा, उनकी मार्क्सवादी विचारधारा के कारण चीन के करीब होने की आशंका भी भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है।