
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर महाकुंभ में आस्था, परंपरा और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम देखने को मिला। नागा साधुओं और संत समाज के अमृत स्नान के साथ महाकुंभ का यह अध्याय बसंती आभा से भर उठा। सुबह 5 बजे से लेकर शाम 3 बजे तक 13 अखाड़ों के साधु-संतों ने अपने परंपरागत क्रम से शोभायात्रा निकालते हुए संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
144 साल बाद पड़े महाकुंभ में श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहे नागा साधु संतों का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान समाप्त हो गया। तीर्थराज प्रयागराज में आज शाम कड़े सुरक्षा इंतजाम के बीच 2 करोड़ 33 लाख से अधिक श्रद्धालु मोक्ष की कामना के साथ आस्था की डुबकी लगा चुके थे। वहीं 13 जनवरी से अब तक 34.97 करोड़ से ज्यादा लोग स्नान कर चुके हैं।
स्नान की शुरुआत महा निर्वाणी अखाड़े ने की
महाकुंभ के तीसरे ‘अमृत स्नान” बसंत पंचमी के अवसर पर सन्यासी अखाड़ों में पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी एवं शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा सुबह 04.00 बजे अपने शिविर से निकल कर 05.00 संगम स्नान के लिए पहुंचा था। अखाड़ा सूत्रों ने बताया कि तपोनिधि पंचायती निरंजनी अखाड़ा एवं पंचायती अखाड़ा आनंद ने संगम में स्नान किया। इसके बाद क्रमशः पंचदशनाम जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और पंच अग्नि अखाड़ा ने स्नान किया। वैष्णव और उदासीन अखाड़ों के बाद अंतिम स्नान निर्मल अखाड़े ने किया। हर अखाड़े का स्नान समय पहले से निर्धारित था, ताकि स्नान विधि-विधान और अनुशासन से संपन्न हो सके।
पुष्पवर्षा ने बढ़ाई शोभा
इस पुण्य अवसर पर सरकार की ओर से सभी साधु-संतों और श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए हेलीकॉप्टर से गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा की गई। यह क्रम सुबह 6:30 बजे से शुरू होकर अखाड़ों के स्नान समाप्त होने तक चला। श्रद्धालुओं पर फूलों की यह वर्षा श्रद्धा और आनंद का माहौल रच रही थी।
आस्था का महासंगम
इस महाकुंभ में लगभग 2 करोड़ 33 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। हिमालय की कंदराओं से आए नागा साधुओं ने अपने दिव्य रूप-सज्जा के साथ इस आयोजन को विशेष बना दिया। श्रद्धालु और संत समाज संगम की गोद में डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना कर रहे थे।
योगी सरकार का संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 को भारत की सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए सभी श्रद्धालुओं और संतों को बधाई दी। उन्होंने इसे समाज में शांति, समृद्धि और सौहार्द बढ़ाने का अवसर बताया।
तीसरा अमृत स्नान – ज्ञान और भक्ति का संगम
महाकुंभ के इस तीसरे अमृत स्नान को ज्ञान का स्नान माना गया। त्रिवेणी के तट पर मां सरस्वती, गंगा और यमुना के संगम ने इसे अद्वितीय बना दिया। बसंत पंचमी पर ज्ञान की देवी सरस्वती के प्राकट्य और साधु-संतों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी दिव्यता प्रदान की।
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