
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा को लेकर अपने पिछले बयानों से पलटी मार ली है। शनिवार को न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में उन्होंने कहा, “मैं हमेशा से H-1B वीजा का समर्थन करता रहा हूं। मेरी कंपनियों में भी कई ऐसे पेशेवर हैं, जो इस वीजा पर काम कर रहे हैं। यह एक बेहतरीन प्रोग्राम है।”
यह बयान ट्रम्प के 2024 के इलेक्शन कैंपेन के दौरान दिए गए उनके विरोधाभासी बयानों से बिल्कुल उलट है। नवंबर में उन्होंने वीजा पॉलिसी को सख्त बनाने और अवैध प्रवासियों को देश से बाहर करने की बात कही थी।
पहले कर चुके हैं विरोध
H-1B वीजा को लेकर ट्रम्प का यह बदला रुख चौंकाने वाला है। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने इस वीजा प्रोग्राम को अमेरिकी वर्कर्स के लिए खतरनाक बताया था और इसे खत्म करने का समर्थन किया था। 2020 में ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के दौरान H-1B और L-1 वीजा को अस्थायी रूप से निलंबित भी कर दिया था।
क्या है H-1B वीजा
H-1B वीजा अमेरिका में नॉन-इमीग्रेंट वीजा कैटेगरी का हिस्सा है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी पेशेवरों को विशेष तकनीकी दक्षता वाले पदों पर नियुक्त कर सकती हैं। यह वीजा आईटी, हेल्थकेयर, आर्किटेक्चर और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में खासतौर पर इस्तेमाल होता है। अमेरिका हर साल 65,000 H-1B वीजा जारी करता है, जिसमें से 70% भारतीय पेशेवरों को मिलता है। यह वीजा तीन साल के लिए वैध होता है, जिसे तीन साल तक के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
ट्रम्प समर्थकों के बीच मतभेद
H-1B वीजा पर ट्रम्प समर्थकों की राय बंटी हुई है। जहां लॉरा लूमर, मैट गेट्ज और एन कूल्टर जैसे नेता इसके खिलाफ हैं, वहीं इलॉन मस्क और विवेक रामास्वामी जैसे समर्थक इसके पक्ष में हैं। विरोधियों का कहना है कि इस वीजा से अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां छिनती हैं। वहीं समर्थकों का तर्क है कि यह वीजा अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद करता है और वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करता है।
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