ग्वालियरमध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश: ओरछा का लाड़पुरा गांव बेस्ट टूरिज्म विलेज के रूप में चयनित, देश में हुआ तीन गांव का चयन

टीकमगढ़। मध्यप्रदेश के साथ ही देश और विदेश में विख्यात पर्यटन नगरी ओरछा के लाड़पुरा गांव को UNWTO (United Nations World Tourism Organization) के तहत बेस्ट टूरिज्म विलेज के लिए चुना गया है। पूरे देश में तीन गांवों को चुना गया है, इनमें से एक मध्यप्रदेश का है। यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है। मप्र के अलावा मेघालय का कांगतोंग गांव, तेलंगाना का पॉचम्पेली गांव भी इस लिस्ट में शामिल है। मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस उपलब्धि पर कहा कि यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है। हमार प्रदेश प्राकृतिक सौंदर्य के साथ अद्भुत स्थापत्य कला का धनी भी है। अब पर्यटन सिर्फ मनोरंजन ही नहीं बल्कि रोजगार, स्थानीय संस्कृति, खानपान कला और स्थापत्य कला का केंद्र बिंदु भी बन रहा है।

100 गांवों को पर्यटन के रूप में विकसित करेंगे

वहीं प्रदेश के प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि पर्यटन के क्षेत्र में नये आयाम जोड़ते हुए ग्रामीण पर्यटन की अवधारणा को मूर्तरूप देने के उद्देश्य से ग्रामीण पर्यटन परियोजना प्रारंभ की गई है। आगामी पांच वर्षों में 100 गांवों को ग्रामीण पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। इनमें ओरछा, खजुराहो, मांडू, सांची, पचमढ़ी, तामिया, पन्ना नेशनल पार्क, बांधवगढ़ नेशनल पार्क, संजय दुबरी नेशनल पार्क, पेच एवं कान्हा नेशनल पार्क, मितावली, पड़ावली आदि क्षेत्रों में उपयुक्त स्थलों का चयन करके विकास किया जाएगा।

गांव के 80% लोग शिक्षित

बता दे कि ओरछा के लाड़पुरा गांव में एक साल पहले विलेज होम स्टे की शुरुआत की गई थी। इसका उद्देश्य पर्यटकों को लुभाना और बुंदेलखंड के ग्रामीण परिवेश, प्राकृतिक सौंदर्य, रहन-सहन और व्यंजनों के स्वाद से रूबरू कराना था। 1110 लोगों की आबादी वाले और 80 प्रतिशत शिक्षित लोगों के इस छोटे से गांव को मध्यप्रदेश के पहले पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित किया गया है।

बुंदेली खेल खिलाए जाते हैं

लाड़पुरा में होम स्टे संचालक ने बताया कि देशी व विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए यहां आने वाले पर्यटकों को जंगल, तालाब और पहाड़ों की सैर के साथ बुंदेली ग्रामीण खेलों में कबड्डी गुल्ली डंडा, चौसर खिलाया जाता है। इसके अलावा शाम के समय बुंदेली लोक संगीत से रूबरू करवाने के उद्देश्य से राई, गोटें, फाग के साथ लोकगीत कार्यक्त्रस्मों का आयोजन किया जाता है ।

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