
अशोक गौतम भोपाल इस समय जल जीवन मिशन का काम पानी की टंकियां न बन पाने से पिछड़ रहा है। इसका कारण अनुभवी अमले की कमी और ठेकेदारों की न-नुकर है। इसी को लेकर अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ने रास्ता निकाल लिया है। जल संसाधन भाग अब कांक्रीट की टंकी की जगह पर जिंक, लोहा और एल्युमीनियम की टंकी बना रहा है। इससे जो टंकी पांच से 6 माह में बनकर यार होती थी, वो अब दो से तीन माह में बनकर तैयार हो रही है। इस तरह की टंकी बनाने की शुरुआत रीवा और सतना से की जा रही है। इसके बाद पूरे प्रदेश में इस तरह की टंकियां बनाई जाएंगी। प्रदेश में करीब 6 हजार टंकियां बननी हैं, जबकि अभी तक महज 500 ही बन पाई हैं। सरकार को इस वर्ष के आखिरी तक प्रदेश के सौ फीसदी घरों तक जल पहुंचाने का लक्ष्य है।
इसलिए बदला फैसला
कांक्रीट की पानी की टंकियां बनाने के काम करने का अनुभव गिने चुने कामगार और इंजीनियरों के पास है। इस कारण से जल साधन विभाग को अनुभवी अमला नहीं मिल पा रहा था। ठेकेदारों ने भी टंकी बनाने से हाथ खड़े कर रहे थे, इससे जल जीवन मिशन
काम में देरी हो रही थी। इससे सरकार ने कांक्रीट की टंकियों की जगह पर जिंक, लोहा और एल्युमीनियम को स्वीकृति दी है।
असेम्बल कर बनती है टंकी
बताया जाता है कि इस टंकी को असेम्बल कर बनाया जाता है, बनाने के बाद उसे क्रेन के जरिए स्ट्रक्चर पर रख दिया जाता है। लोहा, जिंक और एल्युमीनियम की टंकी बनाने में समय के साथ ही कीमत भी एक से दो फीसदी तक कम लग रही है। कांक्रीट की तरह
ही जिंक, लोहा और एल्युमीनियम टंकियों की लाइफ 25 से तीस वर्ष होने का दावा कंपनी ने किया है। यह टंकी कांक्रीट की टंकियों से भार में भी कम है।
प्रदेश में मिशन के हाल
रीवा, सतना, सिंगरौली, सीधी, पन्ना, शिवपुरी, छतरपुर, अलीराजपुर सहित दस जिलों में जल जीवन मिशन का काम 50 फीसदी से कम हुआ है। सबसे पीछे छतपुर, सिंगरौली और अलीराजपुर जिला है। इन जिलों को पिछड़ने की मुख्य वजह यह है कि यहां 30 से 40
किमी दूर से पानी लाया जा रहा है। अभी तक प्रदेश के 70 फीसदी घरों तक पाइप लाइन डाल दी गई है, 60 फीसदी घरों में
सप्लाई भी शुरू कर दी गई है।
मुख्यमंत्री के गृह जिला उज्जैन में 68 फीसदी काम
मुख्यमंत्री के गृह जिला उज्जैन सहित 31 जिलों में 50 से 74 फीसदी से कम तक काम हो पाया है। हालांकि इन जिलों में 6 माह के अंदर पूरा मिशन का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यहां पानी की टंकियां बनाने, पाइप लाइन सप्लाई और इंटेकवेल का निर्माण बचा हुआ है। बताया जाता है कि धार, खरगोन, दमोह, भोपाल, उमरिया, अलीराजपुर, नर्मदापुरम, कटनी जिले में
मिशन का 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है। वहीं इंदौर, खंडवा, नरसिंहपुर, दतिया, राजगढ़, हरदा और बैतूल में 90 फीसदी तक काम पूरा हो गया है।
मिशन के काम में तेजी आएगी
कांक्रीट की टंकियों की जगह पर जिंक, लोहा और एल्युमीनियम की टंकियां बनाई जा रही हैं। इसकी शुरुआत रीवा, सतना जिले में की गई है। इनकी लाइफ भी कांक्रीट की टंकियों के बराबर होगी। इससे काम में तेजी आएगी। संजय कुमार अंधवान,परियोजना निदेशक, जल जीवन मिशन, मध्य प्रदेश