
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार सुबह छापेमारी की। बताया जा रहा है कि, यह कार्रवाई शराब घोटाले और कोयला घोटाले से जुड़ी आर्थिक अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में की जा रही है। ईडी ने इस दौरान राज्यभर में कुल 15 ठिकानों पर रेड मारी, जिसमें चैतन्य बघेल के घर के अलावा कुछ अन्य प्रमुख नेताओं और अधिकारियों के ठिकाने भी शामिल हैं।
इस छापेमारी के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस नेताओं ने इस कार्रवाई को राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया है, जबकि भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा कदम बताया है।
क्या है कोयला घोटाला?
छत्तीसगढ़ में ईडी ने जांच के बाद 570 करोड़ रुपए के कोल लेवी स्कैम का खुलासा किया था। इस घोटाले में IAS अधिकारी रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, जेडी माइनिंग के एसएस नाग और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को गिरफ्तार किया गया था।
आरोप है कि, कोयला परिवहन में प्रति टन 25 रुपए का अवैध कमीशन वसूला जाता था, जिसे एक सिंडिकेट संचालित करता था। इस सिंडिकेट में कथित रूप से कई राजनीतिक नेता और नौकरशाह भी शामिल थे। ईडी ने इस घोटाले से जुड़े कई नेताओं और व्यापारियों के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी कर दस्तावेज जब्त किए हैं।
महादेव सट्टा ऐप घोटाला
ईडी पिछले एक साल से महादेव सट्टा ऐप घोटाले की भी जांच कर रही है। इस घोटाले में छत्तीसगढ़ के कई प्रभावशाली राजनेताओं और अफसरों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। महादेव ऐप के मुख्य प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल हैं, जो छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले हैं। ईडी के मुताबिक, इस अवैध सट्टेबाजी ऐप के जरिए करीब 6000 करोड़ रुपए की आय हुई है। इस मामले में भूपेश बघेल पर भी आरोप लगे थे। हालांकि, उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया था।
2161 करोड़ का शराब घोटाला!
ईडी की छापेमारी छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले से भी जुड़ी हुई है। इस घोटाले में करीब 2161 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया था।
शराब घोटाले में क्या हुआ?
- 2019 में सरकारी शराब दुकानों में नकली होलोग्राम लगाकर अवैध रूप से शराब बेची गई।
- इसमें कई बड़े नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई।
- उत्तर प्रदेश के नोएडा की एक कंपनी को टेंडर देकर नकली होलोग्राम तैयार करवाए गए।
- इस कंपनी को नियमों को ताक पर रखकर पात्रता न होने के बावजूद टेंडर दिया गया।
- इस घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर 72 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगा।
- ईडी की जांच में पता चला कि कवासी लखमा ने इस पैसे से अपने बेटे के लिए आलीशान बंगला बनवाया और अन्य निजी खर्चों में लगाया।
क्यों हुई चैतन्य बघेल के घर छापेमारी?
ईडी को इस बात के सबूत मिले हैं कि, शराब घोटाले और कोयला घोटाले की काली कमाई कुछ नेताओं और उनके परिवारजनों तक पहुंची।
ईडी की जांच में हो सकते हैं कई बड़े खुलासे :
- भूपेश बघेल और उनके करीबी लोग घोटाले की काली कमाई में लिप्त हो सकते हैं।
- शराब घोटाले में कमीशन के पैसे के लेन-देन से जुड़े सबूत मिले हैं।
- कोयला घोटाले में बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश हो सकता है।
कांग्रेस-बीजेपी में वार-पलटवार शुरू
इस छापेमारी के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है। भूपेश बघेल ने ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। उन्होंने कहा, “चुनाव से पहले इस तरह की कार्रवाई साफ दिखाती है कि केंद्र सरकार विपक्ष को दबाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।”
वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि, “अगर भूपेश बघेल बेगुनाह हैं, तो उन्हें जांच से डरने की जरूरत नहीं। जो लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उन्हें कानून का सामना करना ही होगा।”
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