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केमिकल फ्री अनाज के लिए ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का सर्टिफिकेशन जरूर देखें

नेशनल ऑर्गेनिक डे : शहर में गांधी भवन में लगता है ऑर्गेनिक उत्पादों का बाजार

प्रीति जैन- कोविड के बाद हेल्थ और वेलनेस की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है इसलिए वो ऑर्गेनिक और कम केमिकल वाले खाने की तरफ रुचि दिखा रहे हैं। खाने में जरूरत से ज्यादा केमिकल और पेस्टीसाइड हर तरह की बीमारी की जड़ बनता जा रहा है, ऐसे में ऑर्गेनिक खेती इंसानों को बीमारियों से बचा सकती है। यह कहना है, आहार विशेषज्ञों का। शहर में अब ऑर्गेनिक दालें, चीनी, गुड़, घी, तेल, चावल और गेहूं मिलने लगे हैं। गांधी भवन में रविवार को अनंत मंडी में ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसान अपने उत्पाद लेकर आते हैं। इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स के सर्टिफिकेशन के बिना यह मानना ठीक नहीं कि प्रोडक्ट ऑर्गेनिक हैं।

3 साल में तैयार होती जमीन

ऑर्गेनिक खेती की जमीन में बदलने में करीब 3 साल लगते हैं और फिर उस जमीन पर रजिस्टर्ड ऑर्गेनिक फार्मिंग होती है। दूसरा, सर्टिफिकेशन किसान के लिए है, जिसमें एक किसान या किसान के ग्रुप को ऑर्गेनिक फार्मिंग का सर्टिफिकेशन मिलता है। इसके बाद ट्रेडर कैटेगरी का सर्टिफिकेट आता है। ट्रेडर कैटेगरी वो होती है, जिसमें कोई ऑर्गेनिक प्रोडक्ट खरीदता है और उसमें बिना बदलाव किए बेच देता है।

पैदावर बढ़ने पर बजट फ्रेंडली होंगी ऑर्गेनिक सामग्री

1975 में जब हरित क्रांति आई उसके बाद यूरिया और दूसरे पेस्टीसाइड का इस्तेमाल बढ़ गया, जिसके लगातार इस्तेमाल से जमीन की उर्वरकता खत्म होती जा रही है। अब तो मिट्टी को बचाना जरूरी हो गया है। ऑर्गेनिक फार्मिंग में केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता चाहे वो यूरिया हो या दूसरे पेस्टीसाइड, हालांकि सिर्फ ऑर्गेनिक प्रोडक्ट कहने और सर्टिफाइड ऑर्गेनिक फार्मिंग में अंतर है, इसलिए कई बार जो लोग बिना रजिस्टर्ड हुए कम केमिकल के इस्तेमाल से खेती करते हैं वो उसे केमिकल फ्री या ऑर्गेनिक खेती भी बोल देते हैं, जो कि गलत है। किसानों के लिए भी इसमें चैलेंज है क्योंकि पैदावार थोड़ी कम होती है इसलिए यह थोड़े महंगे होते हैं। ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की इंडस्ट्री जितना बढ़ेगी, उपभोक्ता के लिए ये प्रोडक्ट सस्ते होंगे। -डॉ. रश्मि श्रीवास्तव, वाइस प्रेसिडेंट आईएपीईएन

मैं ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों के खेत पर गई हूं। जिनके पास गवर्नमेंट का सर्टिफिकेशन होता है, उन्हीं से अनाज सब्जियां लेते हैं। भोपाल के आसपास कई किसान ट्रेनिंग लेकर मल्टीलेयर फार्मिंग कर रहे हैं। कोशिश रहती है कि खाने-पीने की सभी सामग्री हम ऑर्गेनिक ही लें। -मंजू गुप्ता, आंत्रेप्रेन्योर

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