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Hindu New Year 2024 : कब है गुड़ी पड़वा और हिंदू नववर्ष? जानिए विक्रम संवत् की कैसे हुई शुरुआत

Hindu New Year 2024 : नव संवत्सर यानी हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं और इसी दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होगी, जो हिंदू विक्रम संवत 2081 होगा। देश भर में विक्रम संवत की प्रथमा तिथि को गुड़ी पड़वा आदि नामों से उत्सव के रूप में भी मनाया जाता हैं। भारत में भी अधिकांश लोग अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नववर्ष 1 जनवरी को ही मनाते हैं। आइए जानें इसका इतिहास…

क्या है गुड़ी पड़वा ?

गुड़ी पड़वा को मूलत: नवसंवत्सर या नववर्ष कहते हैं। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा कहने का प्रचलन है क्योंकि वे लोग इस दिन अपने घर के बाहर गुड़ी लगाते हैं। इसी तरह हर प्रांत में इसका नाम अलग है। जैसे उगादी, युगादी, चेटीचंड या चेती चंद अरदि, परंतु है ये नवसंवत्सर।

गुड़ी पड़वा 2023 तिथि

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ : 08 अप्रैल, 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट से
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त : 09 अप्रैल को रात 08 बजकर 30 मिनट पर होगा।
उदयतिथि के अनुसार 9 अप्रैल मंगलवार को गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाएगा।

30 सालों बाद नववर्ष पर बन रहे हैं शुभ योग

इस बार गुड़ी पड़वा का पर्व 9 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। इस साल का हिंदू नववर्ष बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है, क्योंकि ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार करीब 30 सालों बाद नववर्ष पर शुभ राजयोग का निर्माण हो रहा है। 9 अप्रैल को अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और राजयोग शश का निर्माण होगा। पूरे साल शनि और मंगल देव का प्रभाव देखने को मिलेगा।

ऐसे हुई नववर्ष की शुरुआत

हिंदू धर्म में नववर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी इसलिए इस दिन से नए साल का आरंभ भी होता है। इसके साथ ही प्राचीनकाल में भगवान श्री राम और युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। ऐसा भी माना जाता है कि नववर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की नौ दिनों की पूजा से करते है।

जानें हिंदू कैलेंडर का इतिहास

भारतीय हिंदू कैलेंडर की गणना सूर्य और चंद्रमा के अनुसार होती है। भारतीय पंचांग और काल निर्धारण का आधार विक्रम संवत ही हैं। जिसकी शुरुआत मध्य प्रदेश की उज्जैन नगरी से हुई। यह हिंदू कैलेंडर राजा विक्रमादित्य के शासन काल में जारी हुआ था तभी इसे विक्रम संवत के नाम से भी जाना जाता है। विक्रमादित्य की जीत के बाद जब उनका राज्यारोहण हुआ तब उन्होंने अपनी प्रजा के तमाम ऋणों को माफ करने की घोषणा करने के साथ ही भारतीय कैलेंडर को जारी किया इसे विक्रम संवत नाम दिया गया। विक्रम संवत आज तक भारतीय पंचाग और काल निर्धारण का आधार बना हुआ हैं।

हिंदू कैलेंडर के 12 माह के नाम

हिंदू कैलेंडर में पूरे 12 माह होते हैं, जिन्हें चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन मास के नाम से जानते हैं।

ऐसे शुरू हुआ विक्रम संवत्

कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने इसकी शुरुआत की थी। उनके समय में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे। जिनके सहायता से इस संवत के प्रसार में मदद मिली। ये अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। 2024 + 57 = 2081 विक्रम संवत् 9 अप्रैल से शुरू हो रहा है। अभी विक्रम संवत 2080 चल रहा है। बता दें कि इसमें इस्लामी कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत को छोड़कर सभी कैलेंडर में जनवरी या फरवरी में नए साल का अगाज होता है। भारत में कई कैलेंडर प्रचलित हैं जिनमें विक्रम संवत और शक संवत प्रमुख हैं।

चंद्र वर्ष पर आधारित कैलेंडरों में 354 दिन होते हैं

पूरी दुनिया में काल गणना का दो ही आधार है- सौर चक्र और चंद्र चक्र। सौर चक्र के अनुसार पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन और लगभग छह घंटे लगते हैं। इस तरह गणना की जाए तो सौर वर्ष पर आधारित कैलेंडर में साल में 365 दिन होते हैं जबकि चंद्र वर्ष पर आधारित कैलेंडरों में साल में 354 दिन होते हैं।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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