
वाशिंगटन। कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर में लोगों ने बाहर जाकर काम करने की बजाय घर से ही काम किया। उस दौर में वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा और लोगों को इससे फायदा भी हुआ। इतने दिनों बाद भी कई कंपनियां हैं, जो अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का आॅप्शन दे रही हैं, लेकिन लंबे समय तक वर्क फ्रॉम होम करने से लोगों की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ा है। हाल ही में अमेरिका की एक रिसर्च संस्था सैपियंस लैब द्वारा की गई स्टडी से पता चला है कि मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने में वर्क फ्रॉम होम की जगह वर्क फ्रॉम आॅफिस ज्यादा बेहतर है। वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च के लिए 65 देशों के 54,831 कर्मचारियों के डेटा का इस्तेमाल करके यह पता लगाया गया कि वर्क कल्चर का मेंटल हेल्थ पर क्या असर पड़ता है।
स्टडी में किया गया दावा
- स्टडी के अनुसार आपके सहयोगियों के साथ रिश्ते और आपके काम में गर्व और उद्देश्य की भावना, आपके मानसिक स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा असर डालते हैं, चाहे आप किसी भी तरह का काम करते हों।
- खराब रिश्ते और काम में गर्व और उद्देश्य की कमी को, गंभीर उदासी या निराशा, अवांछित होने की भावना और कम ऊर्जा के स्तर और प्रेरणा से जोड़ा गया है।
- स्टडी के अनुसार मेंटल हेल्थ केवल पर्सनल लाइफ तक सीमित नहीं होता, बल्कि प्रोफेशनल लाइफ का भी उस पर गहरा असर पड़ता है। ऑफिस में रिश्तों और माहौल का मानसिक सेहत पर पॉजिटिव या नेगेटिव प्रभाव हो सकता है।
देश में 5 हजार लोगों से चर्चा
स्टडी के लिए भारत में 5,090 कर्मचारियों से संपर्क किया गया। हालांकि काम का बोझ मानसिक सेहत के लिए एक बड़ा कारण माना जाता है, लेकिन अध्ययन के अनुसार, भारतीय कर्मचारियों में यह मुद्दा ग्लोबल एवरेज से कम पाया गया। सिर्फ 13% भारतीयों ने काम के बोझ को असहनीय बताया, जबकि ग्लोबल एवरेज 16% था।
भारतीयों को मानसिक सुकून्
स्टडी के अनुसार भारत में आॅफिस में काम करने वाले इम्पलॉयी की मेंटल हेल्थ घर से काम करने वालों की अपेक्षा अच्छी रहती है। यूरोप और अमेरिका के उलट भारत में दμतर से काम करने वालों को मानसिक सुकून मिलता है। अकेले काम करने वालों की अपेक्षा टीम में काम करने वाले लोगों की मेंटल हेल्थ ज्यादा अच्छी थी।