
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार की अग्निपथ स्कीम को चुनौती देने वाली सभी 23 याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि- अग्निपथ योजना सेना की बेहतरी और राष्ट्रहित में लिया गया फैसला है। इसलिए कोर्ट को इस योजना में दखल देने की कोई वजह नजर नहीं आती।
Delhi High Court dismisses petitions challenging the Agnipath scheme for the recruitment of Agniveers in the armed forces pic.twitter.com/CJaZ9NOfPy
— ANI (@ANI) February 27, 2023
15 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने केंद्र की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 दिसंबर 2022 को कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने का बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं जो लोग पुरानी नीति के आधार पर ही नियुक्ति की मांग कर रहे थे कोर्ट ने उनकी मांग को भी ये कहते हुए खारिज किया कि मांग जायज नहीं है।
पिछले साल 14 जून को आई थी योजना
केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना पिछले साल 14 जून को शुरू की थी। इस योजना के नियम के मुताबिक, 17 से 21 साल के लोग इस योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। उन्हें चार साल के कार्यकाल के लिए सेना में शामिल किया जाएगा।
योजना की शुरुआत के बाद इसका कई राज्यों में जबरदस्त विरोध हुआ। इसके खिलाफ कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गईं थीं। जिसके बाद सरकार ने भर्ती होने के लिए उम्र की सीमा को बढ़ाकर 21 से 23 साल कर दिया। बता दें कि, सरकार ने यह कदम तनख्वाह और पेंशन का बजट कम करने के लिए उठाया था।
25 प्रतिशत की सेवा नियमित कर दी जाएगी
योजना के तहत कुल अग्निवीरों में से 25% को नियमित सर्विस के लिए चुना जाएगा। वहीं बाकी लोगों को भविष्य के लिए पेशेवर ट्रेनिंग दी जाएगी, उनको एकमुश्त धनराशि भी मिलेगी। उनमें से कई को केंद्रीय बलों, पुलिस बल और अन्य विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया के तहत कुछ छूट और प्राथमिकता मिलेगी।