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ब्रिटेन में लंग्स कैंसर की वैक्सीन का ट्रायल, 6 और देशों में भी होगा

लंदन में 67 वर्षीय मरीज को मिला पहला डोज

लंदन। दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मौतों का आंकड़ा सबसे अधिक है। सबसे ज्यादा मौतें फेफड़ों (लंग्स) के कैंसर से होती है। हर साल लगभग 18 लाख लोगों की मौत फेफड़े के कैंसर से होती है। इसबीच खबर है कि फेफड़ों के कैंसर को खत्म करने वाली दुनिया की पहली वैक्सीन बहुत जल्द आ सकती है। ब्रिटेन में लंग्स कैंसर वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है।

इस वैक्सीन का नाम बीएनटी116 है, जिसे बायोएनटेक बना रही है। यह वैक्सीन नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी) के इलाज के लिए है। बीएनटी116 के पहले फेज का ट्रायल ब्रिटेन समेत 7 देशों के 130 मरीजों पर किया जाएगा। इन देशों में ब्रिटेन के अलावा अमेरिका, जर्मनी, हंगरी, पोलैंड, स्पेन और तुर्की का नाम भी शामिल है।

बता दें, 1990 के दशक में, कीमोथेरेपी संदिग्ध थी। हम जानते हैं कि स्टेज-4 के 20-30 फीसदी मरीज इम्यूनोथेरेपी से बच जाते हैं। उम्मीद है कि यह मैसेंजर आरएनए (mRNA) वैक्सीन जिंदा रहने की दरों को और बढ़ाएगी। यह टेस्ट नए एनएचएस मैचमेकिंग प्लान से रोगियों को इनोवेटिव कैंसर वैक्सीन टेस्टिंग में तेजी से आगे बढ़ाने के लिए ब्रिटेन के प्रयास का हिस्सा है, जो मरीजों की लाइफ के लिए बेहद जरूरी है।

एआई वैज्ञानिक रैक्स पर किया गया ट्रायल

  • ब्रिटेन के पहले मरीज लंदन के 67 साल के एआई वैज्ञानिक जानुस रैक्स को वैक्सीन लगाई गई।
  • लंग्स कैंसर के शिकार जानुस रैक्स को उम्मीद है कि उनकी भागीदारी से भविष्य के विकास में मदद मिलेगी।
  • मई में फेफड़ों के कैंसर का पता चलने और कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी शुरू करने के बाद उन्होंने टेस्ट में शामिल होने का फैसला किया।
  • रैक्स को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (यूसीएलएच) क्लिनिकल रिसर्च फैसिलिटी में 30 मिनट से ज्यादा समय तक 6 इंजेक्शन दिए गए, जिनमें से हर एक में अलग-अलग आरएनए स्ट्रैंड थे।
  • जानुस रैक्स को 6 हफ्ते तक वीकली देने से वैक्सीन दी जाएगी। उसके बाद एक साल से ज्यादा समय तक हर 3 हफ्ते में इलाज दिया जाएगा।

डॉक्टर बोले- मिलेगा फायदा

  • यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन हॉस्पिटल्स एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रोफेसर सियो मिंग ली ने बताया, फेफड़ों के कैंसर के लिए मैसेंजर आरएनए (mRNA)-बेस्ड इम्यूनोथेरेपी के साथ नए युग में जा रहे हैं।
  • ब्रिटेन में टेस्टिंग का नेतृत्व कर रहे प्रो. मिंग ली ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर को वापस आने से रोकना है, जो अक्सर सर्जरी और विकिरण के बाद भी होता है। उन्होंने बताया, मैंने 40 सालों तक फेफड़ों के कैंसर का अध्ययन किया है।

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