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निमाड़ में 100% मशीनीकरण से कपास की उपज दो गुना बढ़ी, जिनिंग इंडस्ट्री से डील कर रहे किसान

विजय एस. गौर भोपाल। निमाड़ के किसानों ने कपास क्रांति की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। खरगोन जिले में गोगांवा के किसानों के समूह ने अच्छे बीजों के साथ ही मिट्टी की तैयारी से लेकर फसल चुनाई तक में मशीनों का इस्तेमाल किया। नतीजे में बेहतर गुणवत्ता का कपास पैदा हुआ, जिसकी कीमत भी ज्यादा मिली। इस कामयाबी के बाद अब करीब तीन दर्जन से ज्यादा गांवों के किसान एफपीओ बनाकर कपास की खेती के लिए इकट्ठे हो गए हैं।

दरअसल उपज में कमी, मशीनीकरण को लेकर संशय के साथ ही हर साल मजदूरों की कमी किसानों के लिए एक प्रमुख चिंता थी। तब गोगांवा के युवा किसान मोहन सिसौदिया ने पंरपरागत खेती के बजाय नई शुरूआत की ठानी। किसानों से बात करके गोगावा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (पीओडीएफ-आईडी के तहत गठित) बनाकर 27 किसानों के साथ शुरूआत की। नाबार्ड ने मदद करके एफपीओ बनवाया।

100 प्रतिशत फार्म मशीनीकरण का इस्तेमाल

प्रदेश में पहली बार कपास की फसल में 1.20 करोड़ खर्च करके 100% फार्म मशीनीकरण का प्रयोग किया गया। इनमें बोने की मशीन (सीडर), रक्षक (कीटनाशक स्प्रेयर), बीनने वाला (कटाई करने वाला) और श्रेडर (लाठी को हटाना) थीं। साथ ही उच्च घनत्व रोपण का प्रयोग किया गया, जिससे चार गुना तक ज्यादा पौधे लगे। नतीजे में औसत प्रति एकड़ 5 क्विंटल के मुकाबले 7.5 से लेकर 12 क्विंटल तक उपज हुई। क्वॉलिटी अच्छी होने से ज्यादा दाम भी मिले।

गोगवा एफपीओ ने कपास की ज्यादा उपज और बेहतर गुणवत्ता के बाद खरगोन में जिनिंग इंडस्ट्रीज के साथ डायरेक्ट डीलिंग में जुटा है। इसके चलते जिनिंग के प्रतिनिधि भी किसानों से मिले और उनके कपास की गुणवत्ता की जांच करके संतुष्टि जाहिर की। इससे किसानों को और होगा। -मोहन सिंह सिसौदिया, किसान, गोगांवा, खरगोन

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