
भोपाल। विश्व टीबी दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के भोपाल में बाइक रैली का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने हरी झंडी दिखाकर बाइक रैली को रवाना किया। इसका उद्देश्य टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इसके अलावा टीबी का पूरा इलाज करके ठीक हुए लोगों को स्वास्थ्य संस्थाओं में आयोजित कार्यक्रमों में सम्मानित किया गया।
टीबी मरीजों से भेदभाव न करने की दिलाई गई शपथ
टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने और वैश्विक स्तर पर इस बीमारी को खत्म करने के उद्देश्य से जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों पर टीबी स्क्रीनिंग, परामर्श सत्रों एवं पोस्टर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस दौरान टीबी मरीजों से भेदभाव ना किये जाने को लेकर भी शपथ दिलाई गई।
ये लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें
भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि, टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जो कि टयुबरक्युलोसिस माइक्रोबैक्टिरियम की वजह से होती है। ये बैक्टीरिया ड्रॉपलेट इंफेक्शन के माध्यम से फैलते हैं। फेफड़ों के अलावा पूरे शरीर पर भी इसका असर देखने को मिलता है। दो सप्ताह तक खांसी, दो सप्ताह तक बुखार, वजन में कमी होना, बच्चों के वजन में बढ़ोत्तरी न होना, सीने के एक्सरे में असामान्यता होना, कफ के साथ खून आना, Lymph Gland जैसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
टीबी का ईलाज DOTS पद्धति से किया जाता है। यह एक प्रभावशाली उपचार है, जिसे निरंतर लेना आवश्यक है। इस बीमारी के प्रति लोगों का जागरूक न होना और शुरूआती दौर में बीमारी के लक्षणों को गंभीरता से न लेना टीबी फैलने का बड़ा कारण है। टीबी के इलाज की सुविधा निःशुल्क है।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) March 24, 2023
इलाज के लिए प्रतिमाह दिए जाते हैं 500 रुपए
डॉ. तिवारी ने कहा कि, टीबी के मरीजों के साथ रह रहे परिजनों में संक्रमण होने की संभावना दस प्रतिशत तक रहती है। इसलिए टीबी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। टीबी के मरीज को उपचार अवधि में 500 रुपए प्रतिमाह दिया जाता है। निजी चिकित्सकों द्वारा टीबी के मरीजों के बैंक विवरण लेकर नि-क्षय पोर्टल पर जानकारी दर्ज करने पर मरीजों को आर्थिक सहायता सीधे उनके खातों में ट्रांसफर की जाती है। टीबी नोटिफिकेशन के लिए 500 रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
टीबी का अधूरा इलाज हो सकता है खतरनाक
डॉ. मनोज वर्मा ने बताया कि, टीबी का पूरा इलाज लेना जरूरी होता है। अगर कोई मरीज अधूरा इलाज लेता है तो ये मरीज के लिए खतरनाक हो सकता है। डॉट प्रोवाईडर द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज द्वारा इलाज पूरा लिया जाए। टीबी के लक्षणों की सही समय पर पहचान कर जांच करवाना चाहिए। जिससे जल्द ही इसका इलाज शुरू किया जा सके।
निजि चिकित्सालयों से स्पूटम कलेक्शन के लिए निःशुल्क व्यवस्था की गई है। निजी चिकित्सक नि-क्षय आई.डी. बनाने के लिए एस.टी.एल.एस. वर्कर की सेवाएं ले सकते हैं। शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में CB-NAAT एवं TrueNat टेस्टिंग फ्री में उपलब्ध है। लेटेंट टीबी इंफेक्शन के लिए IGRA टेस्टिंग भी फ्री में की जाती है।
समुदाय सहायता कार्यक्रम का उद्देश्य
टीबी के मरीजों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से समुदाय सहायता कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। जिसके द्वारा समाज के बीच से ही जनप्रतिनिधियों, सामूहिक संस्थाओं, विशेष व्यक्तियों के माध्यम से जनसमुदाय में जागरूकता लाने एवं समुदाय स्तर पर सहायता प्रदान की जाती है।
कार्यक्रम में पोषण सहायता, व्यवसायिक सहायता तथा निदान सहायता प्रदान की जा रही है। इस मुहिम के अंतर्गत कुल 2471 निक्षय मित्र को पंजीकृत किया गया है। इसके अलावा कुल 87281 मरीजों की सहमति प्राप्त की गई है। इस उद्देश्य को पूरा करने में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सांसदगण, विधायकगण एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी सहयोग किया है।