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अयोध्या : आध्यात्मिकता, शांति, आस्था का बैंक बना आकर्षण का केंद्र

अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फिजी, यूएई सहित कई देशों के खाताधारक हैं यहां

अयोध्या। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में एक ऐसा अनोखा बैंक है जिसमें 35,000 खाताधारकों से केवल मन की शांति, आस्था और आध्यात्मिकता का लेन-देन होता है। अंतरराष्ट्रीय श्री सीताराम बैंक नवनिर्मित राम मंदिर के दर्शन के लिए आ रहे भक्तों और पर्यटकों का ध्यान खींच रहा है। इस बैंक में जमा पुस्तिकाओं के सभी पृष्ठों पर सीताराम लिखा हुआ है। इस आध्यात्मिक बैंक की स्थापना नवंबर 1970 में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास ने की थी। इसमें भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, नेपाल, फिजी और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई देशों के 35,000 से अधिक खाताधारक हैं। इस बैंक के पास भगवान राम के भक्तों की 20,000 करोड़ सीताराम पुस्तिकाओं का संग्रह है।

भारत सहित विदेशों में भी हैं बैंक की 136 शाखाएं

बैंक प्रबंधक पुनीत राम दास महाराज ने बताया कि पिछले महीने भव्य मंदिर में राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद से बैंक में रोजाना आने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पुनीत राम दास ने कहा, बैंक भक्तों को निशुल्क पुस्तिकाएं और लाल कलम प्रदान करता है और प्रत्येक खाते का हिसाब रखता है। बैंक में खाता खोलने के लिए कम से कम पांच लाख बार सीताराम लिखने की आवश्यकता होती है और फिर एक पासबुक जारी की जाती है। पूरे भारत और यहां तक कि विदेशों में भी बैंक की 136 शाखाएं हैं। खाताधारक हमें डाक से भी पुस्तिकाएं भेजते हैं और हम यहां बही-खाता रखते हैं।

यहां आने वाले लोग सीताराम लिखने और इसे बैंक में जमा करने के लाभों के बारे में सवाल करते हैं। मैं उनसे कहता हूं कि जिस तरह हम आंतरिक शांति, आस्था और कल्याण के लिए देवी- देवताओं के मंदिरों में जाते हैं, उसी तरह सीताराम लिखकर उसे बैंक में जमा कराना भी पूजा करने का ही एक तरीका है। क्या हम यह नहीं कहते कि भगवान के पास सबके अच्छे-बुरे कर्मों का अपना लेखा-जोखा होता है? यह कुछ ऐसी ही बात है। उन्होंने कहा, भक्तों को भगवान राम का नाम लिखने, जपने और स्मरण करने से शांति और गहन आध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है।

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